[gtranslate]

विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में एक ओर जहां अब तक सीट बंटवारे से लेकर दूसरे मुद्दों पर सहमति नहीं बन सकी है, वहीं गठबंधन में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की भूमिका पर सस्पेंस बरकरार है। गठबंधन घोषणा के दो महीने बाद भी सहयोगी दलों के साथ सीपीएम की पटरी नहीं बैठ पा रही है। हाल ही में सीपीएम के पोलित ब्यूरो की बैठक में भी इंडिया गठबंधन को लेकर कोई ठोस फैसला नहीं हो पाया। सीपीएम भारत की एक राष्ट्रवादी पार्टी है, जिसका केरल, बंगाल, तमिलनाडु और त्रिपुरा में मजबूत जनाधार है। नीतीश कुमार ने जब विपक्षी एकता की कवायद शुरू की थी तो सबसे पहले वे सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी से ही मिले थे। उस वक्त येचुरी ने विपक्षी मोर्चे को जरूरी बताया था। लेकिन जैसे-जैसे इंडिया गठबंधन आकार लेते गया, वैसे-वैसे गठबंधन में सीपीएम की भागीदारी को लेकर सस्पेंस गहराता जा रहा है। कहा जा रहा है कि इंडिया गठबंधन में सीपीएम की भूमिका को लेकर अक्टूबर के अंत तक फाइनल फैसला हो सकता है। क्योंकि इंडिया गठबंधन ने अक्टूबर के अंत तक सीट बंटवारे विवाद को सुलझा लेने का फैसला किया है।

Nitish Kumar and Sitaram yechury

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो सीपीएम पर सस्पेंस की कई वजह हैं। खासकर जब इंडिया गठबंधन की बैठक में ममता बनर्जी के साथ मंच शेयर करने पर बंगाल सीपीएम इकाई ने अपने महासचिव सीताराम येचुरी की शिकायत केंद्रीय समिति से कर दी थी तो बंगाल इकाई का कहना था कि एक तरफ जब तृणमूल के नेता हमारे कार्यकर्ताओं की हत्या करा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर हमारे महासचिव ममता बनर्जी के साथ मंच शेयर कर रहे हैं। बंगाल से शिकायत आने के बाद सीपीएम की केंद्रीय समिति की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में गठबंधन में रहने की बात तो कही गई, लेकिन समन्वय समिति पर सवाल उठाया गया। इसके बाद पोलित ब्यूरो ने इस समिति से किसी को भी नहीं भेजने की बात कही।

सीपीएम की केंद्रीय समिति ने प्रस्ताव पास कर कहा कि बंगाल और केरल के नेताओं से सुझाव लेने के बाद इस पर फाइनल फैसला लिया जाएगा। जो अक्टूबर के अंत में आयोजित की जाएगी। वहीं पोलित ब्यूरो की मीटिंग के बाद कद्दावर नेता सुजान चक्रवर्ती ने पत्रकारों से कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया गठबंधन के साथ लड़ा जाएगा, जबकि बंगाल में हम तृणमूल के खिलाफ लड़ेंगे। ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल सीपीएम को बंगाल में एक भी सीट देने को तैयार नहीं है। ममता बनर्जी ने हाल ही में सीपीएम पर बीजेपी की मदद का आरोप लगाया और कांग्रेस को सीपीएम को लेकर रुख साफ करने के लिए कहा है। तृणमूल सूत्रों की मानें तो बंगाल में जिसके खिलाफ पार्टी लड़ाई लड़ी है, उसे गठबंधन में कैसे शामिल किया जा सकता है? तृणमूल के एक धड़े का मानना है कि बंगाल में सीपीएम का वोट अब बीजेपी में शिफ्ट हो गया है। ऐसे में पार्टी को साथ रखने से कोई फायदा भी नहीं होने वाला है।

तृणमूल कांग्रेस अभिषेक बनर्जी पर सीपीएम के हमले से भी नाराज है। हाल ही में सीपीएम बंगाल के प्रमुख मोहम्मद सलीम ने अभिषेक बनर्जी को भ्रष्टाचारी बताया था। सीपीएम ने इंडिया की मीटिंग में उनके लिए खाली कुर्सी छोड़ने पर भी तंज कसा था। सलीम ने खाली कुर्सी पर जूती रखने की सलाह दी थी। जानकारों का कहना है कि तृणमूल बंगाल में ज्यादा से ज्यादा सीटों पर लड़ने की तैयारी में है, जिससे केंद्र में सरकार बनने पर प्रधानमंत्री पद पर दावा किया जा सके। तृणमूल ने बंगाल की सभी 42 सीटों को जीतने का लक्ष्य रखा है। हालांकि तृणमूल के एक नेता का कहना है कि हम कांग्रेस को उसके हिस्से की सीट दे देंगे। अब उस सीट पर कांग्रेस खुद लड़े या सीपीएम को लड़ाए, ये उसे फैसला करना है। गौरतलब है कि देश के एकमात्र राज्य केरल में लेफ्ट गठबंधन दलों की सरकार है, लेकिन यहां भी सीपीएम की कांग्रेस से खटपट है।

सीपीएम सूत्रों का कहना है कि केरल इकाई ने केंद्रीय समिति से कहा कि अगर कांग्रेस के साथ गठबंधन में पार्टी शामिल होती है, तो भविष्य में सीपीएम केरल से भी खत्म हो जाएगी। केरल को छोड़कर अन्य राज्यों में गठबंधन पर बातचीत हो। लोकसभा में 5-7 सीट जीतने के लिए केरल जैसे महत्वपूर्ण राज्य को नहीं खोया जा सकता है। एक वक्त देश की सियासत में सीपीएम मुख्य विपक्षी पार्टी की भूमिका में होती थी, लेकिन धीरे- धीरे उसका जनाधार सिकुड़ता जा रहा है। 2019 में सीपीएम को सिर्फ 3 सीटों पर जीत मिली। 2019 में सीपीएम तमिलनाडु की 2 और केरल की 1 सीट जीतने में कामयाब हुई थी। पार्टी को इस चुनाव में करीब 1 .75 प्रतिशत वोट मिले थे। 2019 के चुनाव में करीब 20 सीटों पर सीपीएम दूसरे नंबर पर थी।

पार्टी बंगाल में कई सीटों पर तृणमूल का खेल बिगाड़ने में भी कामयाब रही। 2014 में सीपीएम को देश की 9 लोकसभा सीटों पर जीत मिली थी, जबकि पार्टी को 3 .25 प्रतिशत वोट प्राप्त हुआ था। 2014 में सीपीएम ने सबसे अधिक केरल की 5 सीटों पर जीत हासिल की थी। सीपीएम बिहार, झारखंड, बंगाल, केरल, तमिलनाडु और त्रिपुरा में इंडिया गठबंधन को मजबूती दे सकती है। इन राज्यों के पास लोकसभा की करीब 100 सीटें हैं। इन राज्यों के कई सीटों पर सीपीएम का मजबूत जनाधार है।

You may also like

MERA DDDD DDD DD