देश के लिए दो ओलंपिक पदक जीत चुके पहलवान सुशील कुमार के भविष्य पर अब सभी की निगाहें टिकी हैं। हालांकि सागर धनखड़ हत्याकांड में सुशील के खिलाफ साजिश रची गई थी। सुशील के वकील बी एस जाखड़ का दावा है कि उन्हें इस मामले में गलत तरीके से फंसाया गया।
जाखड़ ने कहा, “प्रारंभिक सूचना रिपोर्ट (FIR) में सुशील के नाम का भी जिक्र नहीं है।” मामले के मुख्य शिकार धनखड़ को दिल्ली पुलिस ने उसकी मौत के बाद पहलवान के रूप में संदर्भित किया था। सुशील विवाद को सुलझाने और मामले में मध्यस्थता करने की कोशिश कर रहे थे, तभी छत्रसाल स्टेडियम में दो गुटों में मारपीट होने लगी।
लड़ाई के दौरान सिर में गंभीर चोट लगने के बाद धनखड़ को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसके बाद पुलिस ने सुशील के लुका-छिपी खेलने के बाद उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया। दिल्ली पुलिस के इतिहास में 10 दिनों में कोई गैर-जमानती वारंट जारी नहीं किया गया है। सुशील के खिलाफ सुनियोजित तरीके से साजिश रची गई। पुलिस ने सुशील की जगह उसकी पत्नी को नोटिस क्यों भेजा? आरोप पत्र दाखिल होने के बाद ही आरोपी को पकड़ने के लिए इनाम की घोषणा की जाती है। लेकिन इनाम की घोषणा सुशील के मामले में चार्जशीट दाखिल होने से पहले कर दी गई थी।
जाखड़ ने इन खबरों का खंडन किया कि सुशील जांच में सहयोग नहीं कर रहा है। तो उसपर उन्होंने कहा, “दिल्ली पुलिस ने सुशील से एक कोरे कागज पर उसके हस्ताक्षर लिए हैं। चूंकि सुशील फिलहाल पुलिस हिरासत में है, इसलिए पुलिस उससे ऐसा अपराध कबूल कराने की कोशिश कर रही है जो उसने नहीं किया। सुशील ने किसी भी कागज पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है। पुलिस के पास चार्जशीट दाखिल करने के लिए अब 90 दिन का समय है। उसके पास घटना की फुटेज भी है। इसलिए हम अगली सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं।”