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सर्वे :भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने मंदी का खतरा कम

कोरोनाकाल से विश्व की आर्थिक व्यवस्था ठप हो गई हैं जिसके चलते भारत ही नहीं पूरा विश्व मंदी के दौर से गुजर रहा हैं हालात इतने भयावह हैं बड़े- बड़े उद्योग जगत इससे अभी उभर नहीं पाए हैं छोटे उद्योगों की तो कमर ही टूट गयी हैं और लाखो लोग बेरोजगार हो गए हैं। सभी देश इस कोरोना महामारी की वजह आयी आर्थिक मंदी से उभरने की कोशिश कर ही रहे थे कि रूस और यूक्रेन युद्ध ने पुरे विश्व को फिर से आर्थिक मंदी की और धकलने का काम कर दिया हैं। लेकिन ब्लूमबर्ग के सर्वे के अनुसार भारत में आर्थिक मंदी आने की संभावना न के बराबर हैं इस सर्वे के अनुसार एशियाई अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने मंदी का खतरा बहुत कम है। सर्वे में शामिल अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, एशिया के कई देशों में मंदी की आशंका गहराने लगी है।


अर्थशास्त्री मानते हैं कि चीन में मंदी आने की आशंका 20 फीसद है। वही दक्षिण कोरिया या जापान के लिए यह आंकड़ा 25 फीसद पहुंच जाता है। न्यूजीलैंड में 33वीं, ताइवान में 20, ऑस्ट्रेलिया में 20 और फिलीपींस में मंदी की आशंका 8 फीसद है। यहां केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए ब्याज दरें लगातार बढ़ा रहे हैं। उधर, रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते यूरोप में सबसे ज्यादा 55 फीसदी मंदी आने की संभावना है। यूनाइटेड स्टेट्स के अगले साल तक मंदी का शिकार होने की संभावना 40 फीसदी तक है।


सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था यूएस में मुद्रास्फीति दर ऊंचाई पर है और माना जा रहा है कि अगर वक्त रहते सही कदम नहीं उठाए गए तो जल्द ही वहां मंदी आ जाएगी। एशियाई देशों में सबसे ज्यादा मंदी का खतरा श्रीलंका में है, जहां मंदी आने की संभावना 85 फीसदी है। सर्वे में इस बात खुलासा भी किया गया है कि यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका की तुलना में एशियाई अर्थव्यवस्थाएं काफी हद तक लचीली बनी हुई हैं।


इससे सर्वे रिपोर्ट से पहले विश्व बैंक ने आर्थिक प्रगति को लेकर एक बयान दिया है। विश्व बैंक के बयान में कहा गया है कि साल 2022 के आखिर तक दुनिया की आर्थिक प्रगति कम होने की आशंका है। इसलिए ज्यादातर देशों को आर्थिक मंदी की तैयारी कर लेनी चाहिए। पूरी दुनिया ज्यादा महंगाई और कम विकास दर से जूझ रही है, जिसकी वजह से 1970 के दशक जैसी मंदी आ सकती है।


दुनियाभर में इसका असर दिखने भी लगा है। अर्थशास्त्रियों के एक सर्वे में यह भी नतीजे सामने आए हैं कि एक ओर जहां यूनाइटेड स्टेट्स सहित एशिया, यूरोप की कई अर्थव्यवस्थाओं पर मंदी का खतरा मंडरा रहा है। लेकिन भारत पर खतरा कम नज़र आ रहा है। भारत अगले साल मंदी के खतरे से साफ बचा रह सकता है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि भले ही रुपया डॉलर के मुकाबले 80 डॉलर प्रति रुपये के सार्वकालिक स्तर को पार कर गया है, लेकिन भारत में मंदी की आशंका बहुत कम है। मंदी का अधिक प्रभाव बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर अधिक देखा जा सकेगा।


हाल ही में रियटर्स ने भी एक सर्वे किया था, जिसमें अनुमान लगाया गया था कि वैश्विक अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से नीचे जा सकती है और मंदी का बड़ा खतरा सबके सिर पर है। इसके आसार अभी से दिखना शुरू हो गए हैं।

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