दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार को सरकारी स्कूलों में आमूल – चूल परिवर्तन के लिए याद किया जा रहा है। आप के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सरकारी स्कूलों के ढांचे में आए बदलाव और शिक्षा में आए सुधार के लिए पुरे देश में जाना जाने लगा है। दिल्ली में चिकित्सा व्यवस्था और शिक्षा व्यवस्था में इसी प्रोग्रेसिव बदलाव को आधार बनाकर आम आदमी पार्टी दिल्ली से बाहर निकल रही है। इसे आम आदमी पार्टी ने दिल्ली मॉडल करार दिया है। इसी दिल्ली मॉडल को पार्टी अब उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी धरातल में उतारने के वादे के साथ मिशन 2022 का सपना सजोए हुए है।
आम आदमी पार्टी दिल्ली में शिक्षा सुधार को पुरे देश के सरकारी स्कूलों में सबसे बेहतर होने का दावा करती रही है। आम आदमी पार्टी के इस दावे को अब निति आयोग ने भी प्रमाणित कर दिया है। नीति आयोग ने दिल्ली के सरकारी शिक्षा संस्थानों में आए बदलाव की तारीफ करते हुए उन्हें नेशनल अचीवमेंट सर्वे ( एनएएस ) में सबसे ज्यादा 44.73 नंबर दिए हैं। इसके लिए आयोग ने बकायदा सर्वे कराया था। आयोग के तैयार किए इंडिया इनोवेशन इंडेक्स-2020 के मुताबिक नेशनल स्तर पर दिल्ली का एवरेज स्कोर 35.66 रहा है।
नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि किसी भी राज्य में आय का स्तर भी अहम भूमिका निभाता है। मिडिल क्लास और हाई इनकम कैटेगरी के बच्चे की निजी स्कूलों में पढ़ाई होने और स्कूल के बाहर सीखने के विकल्प उपलब्ध होने की संभावना ज्यादा होती है। वहीं, सरकार से मदद लेने वाले स्कूलों में शिक्षा की अच्छी गुणवत्ता सुनिश्चित करने वाले राज्य भी एनएएस स्कोर को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।
बताया गया कि दिल्ली को हाई इनकम के साथ-साथ सरकारी स्कूल सिस्टम के ऐतिहासिक बदलाव की वजह से सबसे ज्यादा नंबर 44. 73 मिले हैं। दूसरे राज्यों में सबसे ज्यादा साक्षर राज्य केरल इस मामले में असम से पिछड़ गया है। राजस्थान ने आईटी हब के तौर पर मशहूर आंध्र को पछाड़कर तीसरा नंबर हासिल किया है। सर्वे रिपोर्ट के अनुसार टॉप फाइव की बात करे तो दिल्ली पहले नंबर पर तो दूसरे नंबर पर कर्नाटक रहा। जबकि तीसरे नंबर पर राजस्थान चौथे पर चंडीगढ़ पाचवे पर गोवा रहा। इस सर्वे सूचि में उत्तराखंड 38. 77 नंबर लेकर 11 वे स्थान पर रहा। जबकि शीर्ष 20 में उत्तर प्रदेश कही स्थान नहीं पा सका।