उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए गैंगरेप ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। गैंगरेप का शिकार हुई दिंवगत युवती को इंसाफ दिलाने के लिए देशभर में भारी गुस्सा है। पीड़िता की मौत के बाद जिस तरह परिजनों की अनुपस्थिति में उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया उसको लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।बीते एक हफ्ते से देश की सियासत को गरमाने वाला हाथरस मामले में आज छह अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। पीड़ित परिवार को इंसाफ दिलाने के सर्वोच्च अदालत में एक जनहित याचिका लगाई गई है, जिस पर कोर्ट आज सुनवाई करेगा। याचिका में पहली मांग है, मामले की सीबीआई जांच हो और दूसरी मांग है कि सुनवाई यूपी से दिल्ली ट्रांसफर की जाए।
आज की सुनवाई से ही तय होगा कि हाथरस की पीड़िता को इंसाफ कैसे और कब मिलेगा।सुप्रीम कोर्ट आज उत्तर प्रदेश के हाथरस मामले से जुड़ी एक जनहित याचिका पर सुनवाई करेगा। इस याचिका में हाथरस केस की जांच को सु्प्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के मौजूदा या रिटायर्ड जज की निगरानी में किसी बड़ी एजेंसी से कराने की मांग की गई है। इस याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस एस.ए. बोबड़े की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ करेगी।
सुप्रीम कोर्ट में सामाजिक कार्यकर्ता सत्यम दुबे, वकील विशाल ठाकरे और रूद्र प्रताप यादव की ओर से ये याचिका दायर की गई है। इस पिटिशन पर चीफ जस्टिस की अध्यक्षता में जस्टिस एएस बोपन्ना और वी. रामसुब्रमण्यम की बेंच सुनवाई करेगी। याचिका में हाथरस कांड की जांच को सीबीआई या एसआईटी से कराने और इसकी निगरानी के लिए हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के एक वर्तमान या पूर्व न्यायधीश को भी नियुक्त कराने की मांग की गई है।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यूपी सरकार हाथरस कांड के आरोपियों के खिलाफ ऐक्शन लेने में विफल रही है, ऐसे में केस को दिल्ली रेफर किया जाना चाहिए। इस याचिका में यह भी कहा गया है कि पीड़िता का अंतिम संस्कार गलत तरीके से परिवार की अनुपस्तिथि में किया गया। और पुलिस ने अपने दायित्व पूरे नहीं किए। इसके अलावा अधिकारियों ने आरोपियों का संरक्षण किया।