सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरनेम मानहानि मामले में गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए राहुल गांधी को बड़ी राहत दी है। इस फैसले से राहुल गांधी की संसद में वापसी का रास्ता साफ हो गया है। शीर्ष अदालत द्वारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी गई है। कोर्ट की ओर से कहा गया है कि जब तक राहुल की दोषसिद्धि वाली याचिका लंबित है तब तक उनकी सजा पर रोक होगी। इसके बाद माना जा रहा है कि राहुल अब संसद के मॉनसून सत्र में भाग ले सकते हैं। राहुल के वकील ने कहा कि राहुल की सदस्यता अब बहाल हो गई है। उनके वकील ने दावा किया कि अब इसी सत्र से राहुल संसद सत्र में दिखेंगे।
फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया कि वह जानना चाहता है कि इस मामले में अधिकतम सजा क्यों दी गई । सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर जज ने 1 साल 11 महीने की सजा दी होती तो वह (राहुल गांधी) अयोग्य नहीं होते। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने कहा कि यह सही है कि ऐसे बयान अपमानजनक और मानहानिकारक हैं। गौरतलब है कि पीठ ने अपने फैसले का आधार यह दिया है कि अगर राहुल गांधी ने बयान दिया है तो आम जनता (वायनाड की) को परेशानी क्यों होनी चाहिए और उनकी आवाज संसद तक क्यों नहीं पहुंचनी चाहिए। ऐसे समय में जब संसद सत्र चल रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या कहा
निचली अदालत के न्यायाधीश की ओर से अधिकतम सज़ा देने का कोई कारण नहीं स्पष्ट किया गया है, जिसे देखते हुए अंतिम फैसले तक राहुल दोष सिद्ध होने तक आदेश पर रोक लगाई जानी चाहिए।
राहुल गांधी के सार्वजनिक जीवन में बने रहने के अधिकार को इस आदेश ने प्रभावित किया, साथ ही जिन मतदाताओं ने उन्हें चुना था उनके अधिकार को भी।
निचली अदालत और हाई कोर्ट दोनों ने कागजों के पुलिंदे भर दिए लेकिन किसी ने भी इस पहलू पर गौर नहीं किया कि अधिकतम सजा क्यों दी जा रही है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि कथन सही नहीं था। सार्वजनिक जीवन में व्यक्ति से यह अपेक्षा की जाती है कि वह भाषण देते समय सावधानी बरते। उन्हें (राहुल गांधी) अधिक सावधान रहना चाहिए था।