देश की कई टेलीकॉम कंपनियों पर दूरसंचार विभाग के बकाया एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) को चुकाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कंपनियों को जोरदार फटकार लगाई है। फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा है कि AGR बकाए को लेकर कंपनियां खुद आकलन न करें, इसे अवमानना माना जा सकता है। साथ ही, कोर्ट ने सभी टेलीकॉम कंपनियों के एमडी को जेल भेजने की चेतावनी भी दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो हो रहा है वो बेहद चौंकाने वाला है। कोर्ट ने कहा कि ‘क्या हम मूर्ख है’ ये कोर्ट के सम्मान की बात है क्या टेलीकॉम कंपनियां को लगता है कि वो संसार में सबसे पावरफुल हैं।
दरअसल, वोडाफोन और आइडिया ने सोमवार 16 मार्च को कहा कि टेलीकॉम डिपार्टमेंट को अतिरिक्त 3,354 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। कंपनी ने कहा है कि खुद के आकलन के मुताबिक उसने एजीआर बकाए की मूल राशि का पूरा भुगतान किया जा चुका हो। अभी तक कंपनी सरकार को एजीआर बकाए को लेकर 6,854 करोड़ रुपये दे चुकी है।
वोडाफोन और आईडिया से टेलीकॉम डिपार्टमेंट ने एजीआर बकाए को लेकर करीब 53 हजार करोड़ रुपये की मांग की थी। जिसमें ब्याज, जुरमाना और राशि देने में की गई देरी का हर्जाना भी शामिल है। कंपनी का कहना है कि वह एजीआर देनदारी पर स्वआकलन कर रिपोर्ट टेलीकॉम डिपार्टमेंट को छह मार्च को ही सौंप चुकी है। इससे पहले कंपनी 17 फरवरी को 2,500 करोड़ रुपये और 20 फरवरी को 1000 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुका है।
इन टेलीकॉम कंपनियों पर टेलीकॉम विभाग के प्रति करीब 1.63 लाख करोड़ रुपये बकाया है। इसमें कंपनियों का लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज शामिल है। लाइसेंस के तौर पर बकाया रकम 92,642 करोड़ रुपये और स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज के तौर पर 70,869 करोड़ रुपये बकाया है। इसमें सबसे अधिक बकाया भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया का है।
AGR यानी Adjusted gross revenue दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला यूसेज और लाइसेंसिग फीस है। इसके दो हिस्से हैं पहला स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज और दूसरा लाइसेंसिंग फीस।