देशभर में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाकों में तीनों दिनों तक लगातार दंगे हुए जिसमें 46 लोगों की मौत हो गईं। लगभग 200 के करीब अभी गंभीर हालत में अस्पतालों में भर्ती हैं। इसी बीच खबर आ रही है कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की तरफ से भारत के सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ एक याचिका दायर किया गया है। याचिका का भारतीय विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को जवाब दिया। मंत्रालय ने कहा कि कोई भी विदेशी पार्टी भारत के आंतरिक मामले में इस तरह हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।
केंद्रीय विदेश मंत्रालय की ओर से जारी अपने बयान में गया, “जेनेवा में मौजूद हमारे मिशन को सोमवार को जानकारी मिली है कि संयुक्त राष्ट्र के ह्यूमन राइट्स कमिश्नर की ओर से सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन एक्ट के मसले पर हस्ताक्षेप याचिका दायर की गई है।” विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने जवाब में कहा, “नागरिकता संशोधन एक्ट भारत का एक आंतरिक मसला है और भारतीय संसद को इस कानून को बनाने की ताकत है। हमें विश्वास है कि कोई बाहरी पार्टी इस भारत के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।”
इसके अलावा भारत सरकार ने अपने बयान में कहा कि नागरिकता संशोधन एक्ट भारत के संविधान की सभी वैल्यू को पूरा करता है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है जो कानून के आधार पर चलता है। भारत में कानूनी व्यवस्था पर पूरा विश्वास है। और हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट में हमारा पक्ष स्पष्ट हो जाएगा।
बता दें कि नागरिकता संशोधन एक्ट को लेकर कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में हैं। सर्वोच्च अदालत अभी इस मसले पर सुनवाई कर रहा है। गौरतलब है कि अमेरिका, चीन, पाकिस्तान समेत दुनिया के कई देशों ने नागरिकता संशोधन एक्ट और उसको लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया दी थी और जमकर मोदी सरकार की आलोचना की थी।