गुजरात सरकार ने गुजरात में 2002 के बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे 11 दोषियों को रिहा करने का फैसला किया था। इस फैसले के खिलाफ पूरे देश में आक्रोश था। इस बीच बिलकिस बानो ने भी इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। हालांकि, कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है।
BIG BREAKING: Review plea filed by Bilkis Bano against the remission order granted in favour of the 11 convicts in the 2002 gang rape case has been DISMISSED BY SUPREME COURT #SupremeCourt #BilkisBano pic.twitter.com/63cQO62CdD
— Bar & Bench (@barandbench) December 17, 2022
सुप्रीम कोर्ट द्वारा बिलकिस बानो की पुनर्विचार याचिका खारिज किए जाने के बाद दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष का बयान सामने आया है। डीसीडब्ल्यू चीफ ने ट्वीट किया, “सुप्रीम कोर्ट ने बिल्किस बानो की याचिका खारिज कर दी। 21 साल की उम्र में बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया, उसके 3 साल के बेटी और परिवार के 6 सदस्यों की हत्या कर दी गई, लेकिन गुजरात सरकार ने उसके सभी बलात्कारियों को रिहा कर दिया। अगर सुप्रीम कोर्ट से भी न्याय नहीं मिला तो कहां जाएंगे?
दोषियों को 15 अगस्त को कर दिया गया था रिहा
गुजरात सरकार ने केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद अच्छे व्यवहार के आधार पर 15 अगस्त 2022 को बिलकिस बानो गैंगरेप और हत्या मामले में दोषियों को रिहा कर दिया। 14 साल की कैद के बाद इन दोषियों को गुजरात सरकार ने रिहा कर दिया था। स्वतंत्रता दिवस के दिन ही दोषियों की रिहाई से पूरे देश में आक्रोश फैल गया। इस फैसले की विपक्ष सहित कई गणमान्य लोगों ने निंदा की थी। दोषियों की रिहाई का सीबीआई और विशेष अदालत ने भी विरोध किया था।
3 मार्च 2002 को गुजरात के लिमखेड़ा तालुक में बिल्किस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। इस समय वह 5 माह की गर्भवती थी। तब बिलकिस बानो के साथ उसकी 3 साल की बेटी के साथ बलात्कार किया गया और 14 अन्य लोगों की हत्या कर दी गई। इसके अलावा बिलकिस बानो ने न्याय के लिए मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद कोर्ट ने मामले की सीबीआई जांच का निर्देश दिया था। बिल्किस बानो ने मांग की थी कि जान से मारने की धमकी के चलते केस को कोर्ट में सुनवाई के लिए गुजरात से महाराष्ट्र ट्रांसफर किया जाए। बाद में बानो की यह मांग मान ली गई।