बहुचर्चित आईएनएक्स मीडिया मनी लांड्रिंग मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। साथ ही प्रवर्तन निदेशालय ईडी को मामले में अब तक के जांच की स्टेटस रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में जमा कराने की अनुमति दी है।
सुनवाई के दौरान सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ऐसा नहीं है कि पी चिदंबरम निर्दोष हैं और इन्हें अंधेरे में रखा गया । यह मामला केवल आईएनएक्स मीडिया का ही नहीं है, इसमें अन्य कंपनियां भी शामिल हैं, जिसने एफआईपीबी की मंजूरी के लिए आवेदन किया था।
उन्होंने आगे बताया कि लांड्रिंग व शेयर होल्डिंग पैटर्न में 16 कंपनियां शामिल थीं। 12 विदेश अकाउंट थे, 12 विदेशी संपत्तियों की पहचान की गई, 16 देशों में ऐसी संपत्तियों का पता चला है जिसका लिंक पी चिदंबरम से हो सकता है।
इसके पहले जस्टिस आर बनुमथी की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की सुनवाई टाल दी थी। इससे पहले की सुनवाई में उनके वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि 21 अगस्त 2019 को चिदंबरम की गिरफ्तारी हुई थी। गिरफ्तारी के 60 दिन हो जाने के बाद सीबीआई की ओर से चार्जशीट नहीं दाखिल की गई और उन्हें जमानत मिल गई। अब प्रवर्तन निदेशालय भी चार्जशीट दाखिल करने में सफल नहीं इसलिए जमानत मिलनी चाहिए।