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संडे स्पेशल : कहानी UP के एक ‘जबरिया रिटायर’ IPS अमिताभ ठाकुर की

सत्ता के गलियारों में आजकल उत्तर प्रदेश के आईपीएस  अमिताभ ठाकुर की चर्चा – ए – आम है। हालांकि अमिताभ ठाकुर किसी भी सरकार में रहे अपनी सत्यवादी हठधर्मिता से चर्चा के केंद्र में रहे। चाहे मुलायम सिंह यादव की सरकार हो या मायावती की या वर्तमान में योगी सरकार । कभी वह विकास दुबे के एनकाउंटर से पहले ही फर्जी मुठभेड़ से पर्दा उठाते हुए नजर आए । कभी वह पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की धमकियों से भी नहीं डरकर उनपर मुकदमा दर्ज करने सियासत की आंख की किरकिरी बने थे ।

फिलहाल वह चर्चाओं में इसलिए है कि यूपी की योगी सरकार ने चार दिन पहले उनके और 3 आईपीएस ऑफिसर की अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेश दिए हैं । उत्तर प्रदेश में 10 जिलों में पुलिस कप्तान रहे अमिताभ ठाकुर अनिवार्य सेवानिवृत्ति से पहले यूपी पुलिस में आईजी के पद पर थे। गौरतलब है कि आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को गृह मंत्रालय ने समय से पूर्व अनिवार्य रूप से सेवानिवृत करने का आदेश दिया था। आदेश में लिखा गया है कि अमिताभ ठाकुर को लोकहित में सेवा में बनाए रखे जाने के उपयुक्त न पाते हुए लोकहित में तात्कालिक प्रभाव से सेवा पूर्ण होने से पूर्व सेवानिवृत किये जाने का निर्णय लिया गया है।

अमिताभ ठाकुर ने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी थी। सरकार के इस आदेश पर ट्वीट करके उन्होंने लिखा था कि मुझे अभी-अभी वीआरएस (लोकहित में सेवानिवृति) आदेश प्राप्त हुआ। सरकार को अब मेरी सेवाएं नहीं चाहिए। जय हिन्द !

अमिताभ ठाकुर पर जब भी आरोप लगे हैं वह कोर्ट गए हैं । इस बार जब उन्हें सेवाओं के अयोग्य मानते हुए अनिवार्य रिटायर कर दिया है । तो क्या वह फिर कोर्ट जाएंगे ? यह सवाल हर किसी के जेहन में है । हालांकि इसका जवाब अमिताभ ठाकुर खुद देते हैं। वह कहते हैं कि जो लोग मुझे जानते हैं उन्हें लगता है कि यह गलत फैसला है और वे इसे लेकर दुखी भी है । मेरी आत्मा भी यही कहती है । लेकिन सवाल यह है कि क्या मैं साबित कर पाऊंगा कि यह गलत फैसला है । कई बार कातिल कत्ल करता है और खून का धब्बा भी नहीं छोड़ता। यदि सरकार ने पूरी सफाई से मुझे खत्म किया है तो मैं खामोश हो जाऊंगा। इसे अपनी किस्मत मान लूंगा । लेकिन अगर मैं खून के धब्बे खोज रहा हूं और साबित कर पाता हूं कि गलत हुआ है तो मैं निश्चित तौर पर इसे कोर्ट में ले जाऊंगा।

साढे 7 साल पहले ही योगी सरकार ने अनिवार्य रिटायर करके अमिताभ ठाकुर को एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है कि सत्ता किसी की सगी नहीं होती। अमिताभ ठाकुर ने अपने चिर परिचित अंदाज में सत्ता को एक बार फिर चैलेंज कर दिया है । इसका उदाहरण इससे देखा जा सकता है कि उन्होंने अपने घर के दरवाजे पर जो नाम की पट्टी लगाई है उस पर एक A4 साइज के पेपर पर लिख दिया है अमिताभ ठाकुर आईपीएस ‘जबरिया रिटायर’। यही नहीं बल्कि उन्होंने इसको लेकर एक ट्वीट भी पोस्ट किया है। जो जमकर वायरल हो रहा है।

अमिताभ ठाकुर के इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ सी आ गई है । जिसमें हर किसी ने अपनी भावनाओं को व्यक्त किया है । कुछ यूजर्स ने उनकी कार्यप्रणाली को सराहा तो कुछ ने कहा कि सरकारी नौकरी से उतर अब आप कुछ करेंगे तो नतीजा ऐसा ही आएगा। एक सज्जन कह रहे हैं कि हर सरकार लोकतांत्रिक नहीं हो सकती, साहब । तो दूसरा यूजर कह रहा है कि काम सही से नहीं करोगे तो जबरन रिटायर ही किए जाओगे।

जबकि एक अन्य व्यक्ति ने लिखा है कि तो मोदी जी को भी त्यागपत्र दे देना चाहिए। क्योंकि देश त्रस्त है । उनके 18 घंटे काम करने से देश की जीडीपी पाताल पहुंच चुकी है। बेरोजगारी चरम पर है । देश में अशांति का माहौल है । जबकि एक अन्य ने लिखा है कि अमिताभ ठाकुर जी को जबरदस्ती सेवानिवृत्ति के लिए भेजा गया है । वह स्वतंत्र रूप से अब लोगों और सार्वजनिक कारणों की सेवा में सक्षम होंगे। आदरणीय महोदय कृपया ध्यान दें कि आप और नूतन जी के साथ लाखों लोग खड़े हैं। अगर हम कुछ भी आपके लिए कर सकते हैं , तो प्लीज हमें बताएं।

जबकि उत्तर प्रदेश कैडर के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी अमिताभ ठाकुर के भाई आईएएस अविनाश कुमार ने अपने फेसबुक वॉल पर एक मार्मिक कविता लिखी है। अपनी मां को समर्पित कविता में उन्होंने अपने बड़े भाई अमिताभ ठाकुर की खूबियों का बखान किया है और कहा- ‘मां अगले जन्म में फिर अमिताभ पैदा करना।’

आईपीएस अमिताभ ठाकुर और उनकी एक्टिविस्ट पत्नी नूतन ठाकुर अब तक 700 से अधिक शिकायतें कर चुके हैं । जिनमें वह आरटीआई के जरिए तथ्यात्मक जानकारी जुटाने के बाद शिकायतें करते हैं। इनमें से 200 के करीब शिकायतें उन्होंने मौजूदा सरकार के दौरान की है। यूपी में सरकार चाहे जिसकी रही हो अमिताभ ठाकुर और नूतन ठाकुर हमेशा विवादित मुद्दों को उठाते रहे हैं। अमिताभ ठाकुर कहते हैं कि मैंने हमेशा सत्ता और ताकत के आगे सच बोला है। यही मेरी सबसे बड़ी अयोग्यता बन गई। यदि गलत को गलत कहना अयोग्यता है तो हो सकता है मैं अयोग्य हूँ।

अमिताभ ठाकुर सबसे पहले वर्ष 2006 में तब चर्चा में आए थे जब उन्होंने उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के समधी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया था। अमिताभ इन दिनों फिरोजाबाद के एसपी थे । तब मुलायम सिंह यादव के समधी रामवीर सिंह ने जसराना में उन्हें थप्पड़ मार दिया था । जिसके बाद उन्होंने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया था । यहां से अमिताभ की सत्ताधारियो से लड़ाई शुरू हुई और आज तक चली आ रही है।

 

अमिताभ ठाकुर और उनकी पत्नी नूतन ठाकुर ने वर्ष 2015 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रसाद पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए कई शिकायतें दर्ज कराई । तभी जुलाई 2015 में मुलायम सिंह यादव ने अमिताभ ठाकुर को फोन करके फिरोजाबाद का किस्सा याद दिलाते हुए सुधर जाने की नसीहत दी थी। अमिताभ ठाकुर ने इसे धमकी बताते हुए मुलायम सिंह यादव के खिलाफ ही धमकी का मुकदमा दर्ज करा दिया था।

हमेशा हुकूमत के निशाने पर या फिर उसकी आंख की किरकिरी साबित होने वाले तथा अपने बेबाक बोल के लिए चर्चित अमिताभ ठाकुर उस समय चर्चा में आए थे जब उन्होंने 11 दिसंबर 2008 को यूपी के थानों में इंस्पेक्टर स्तर के पुलिस अफसरों को ही थानाध्यक्ष बनाए जाने को लेकर आदेश जारी कर डाला।

अमिताभ का मानना था कि थानों जैसी संवेदनशील पुलिसिया जगहों पर सब-इंस्पेक्टर स्तर के अफसर को एसएचओ या थानाध्यक्ष नहीं बनाया जाना चाहिए । और तो और ये वे ही आईपीएस अमिताभ ठाकुर हैं जो, बीसीसीआई द्वारा खेल पुरस्कारों की संस्तुतियों के मामले को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंच गए। उनका तर्क था कि खेल एवं युवा मामले के मंत्रालय से मान्यता प्राप्त देश के खेल संघ ही खेल पुरस्कारों की संस्तुति कर सकते हैं। जबकि बीसीसीआई तो मान्यता प्राप्त खेल संघों की सूची में शामिल ही नहीं है।

यहां यह भी बताना जरूरी है कि गाजियाबाद में नौकरी के दौरान एक बार एक महिला ने अमिताभ ठाकुर के मत्थे यौन उत्पीड़न का आरोप मढ़ दिया। जबकि एक सामाजिक संगठन ने उन पर आय से अधिक संपत्ति का मामला उछाल दिया।गाजियाबाद की महिला द्वारा बलात्कार का आरोप लगाए जाने के बाद अमिताभ ठाकुर ने अपने ऑफिस के बाहर एक नोटिस लगा दिया था। उस नोटिस पर लिखा था कि ‘कोई भी महिला आगंतुक कृपया अकेले मेरे कक्ष में प्रवेश न करे : आज्ञा से अमिताभ ठाकुर, संयुक्त निदेशक, नागरिक सुरक्षा, उ०प्र०।’

इस नोटिस की एक तस्वीर अपने फेसबुक वॉल पर पोस्ट करते हुए अमिताभ ठाकुर ने लिखा है कि ‘मेरे ऑफिस के दरवाज़े पर लगाया नोटिस। साथ ही आज घर पर सीसीटीवी कैमरा भी लगवाया ताकि भविष्य में गाजियाबाद की महिला की तरह कोई अन्य महिला ऐसा फूहड़ और झूठा आरोप न लगा दे।

एक बार तो यूपी कैडर के आईपीएस रहे अमिताभ ठाकुर सड़क पर पुलिस के खिलाफ ही धरना देकर बैठ गए थे। अब जब वर्दी नहीं बची तो ऐसे में सवाल पैदा हो रहें है कि अड़ियल अमिताभ ठाकुर आगे क्या करेंगे? हालांकि उनके पास अब एक मात्र रास्ता न्यायालय का बचा है । जहां वह अब न्यायालय में न्याय की गुहार लगा सकते हैं।

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