“अंबानी परिवार के घर के बाहर एक संदिग्ध गाड़ी खड़ी रहती है, उस गाड़ी के मालिक मनसुख हिरेन की तुरंत संदेहास्पद मौत हो जाती है, विधानसभा में उस पर चार दिन हंगामा होता है। ये सभी रहस्यमय मामले महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा रहे हैं। इन सभी मामलों की गुप्त जानकारी विरोधी नेता फडणवीस के पास सबसे पहले पहुंचती रही। सरकार के लिए ये शुभ संकेत नहीं है। इस मामले की जांच एनआईए को तब सौंपी गई जब भाजपा ने विधानसभा में इस मामले को उठाया था। केंद्र सरकार ने इसकी जांच एजेंसी को क्यों सौंपी क्योंकि यह भाजपा के लिए संभव था। भाजपा केंद्र में है। यह महाराष्ट्र जैसे राज्यों पर दबाव बनाने का पैंतरा है।”
यह शिवसेना के मुखपत्र सामना में लिखा है। इससे समझा जा सकता है कि महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि देश की सियासत में अब अंबानी परिवार पर हमले की साजिश में कई कौण आ गए हैं। कहें तो यह प्रकरण अब सुलझने की बजाय शिवसेना और भाजपा के सियासी जाल में उलझ गया है।
मुकेश अंबानी परिवार की सुरक्षा से जुड़ा यह मामला तब और ज्यादा संगीन हो जाता है , जब इस प्रकरण की जांच कर रहे मुंबई क्राइम ब्रांच के सीनियर ऑफिसर सचिन वाजे को लेकर भाजपा और शिवसेना आपस में भिड जाती है । फिलहाल सचिन वाजे से इस मामले में संलिप्तता सामने आने के बाद वह एनआईए द्वारा गिरफ्तार किए जा चुके हैं। भाजपा और शिवसेना एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने में लगी है। शिवसेना के नेता संजय रावत ने यहां तक कहा कि मेरा मानना है कि सचिन वाजे एक बेहद ईमानदार और तेजतर्रार अधिकारी है । उन्हें मनसुख हिरेन की संदिग्ध मौत और एंटीलिया के बाहर मिली विस्फोटक से लदी स्कॉर्पियो मामले में गिरफ्तार किया गया है। इन मामलों की जांच करना मुंबई पुलिस की जिम्मेदारी है । जिसमें किसी केंद्रीय टीम की जरूरत नहीं थी। शिवसेना नेता संजय राउत का इशारा एनआईए यानी कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी की तरफ है । जिसे केंद्र की तरफ से इस मामले की जांच करने के लिए भेजा गया।
हालांकि इस मामले में भाजपा ने शिवसेना की जमकर घेराबंदी की है । महाराष्ट्र भाजपा के सीनियर लीडर राम कदम ने तो सचिन वाजे का नारको टेस्ट कराने तक की मांग कर डाली है। उन्होंने इस बाबत एक ट्वीट किया और लिखा कि आखिरकार सचिन वाजे को एनआईए ने गिरफ्तार कर ही लिया। क्या आप सचिन वाजे को बचाने का कुकर्म करने वाली शिवसेना नेतृत्व सरकार देश में माफी मांगते हुए सचिन वाजे का नारको टेस्ट कराएगी । कदम ने आगे लिखा कि हमारी मांग है कि सचिन वाजे का नारको टेस्ट कराया जाए। जिससे पता चले कि महाराष्ट्र सरकार उसे बचाना क्यों चाहती थी?
इस मामले की जांच अभी पूरी तरह सामने भी नहीं आ पाई है कि भाजपा और शिवसेना राजनीति पर उतर आई हैं । दोनों ही पार्टियां अंबानी के घर के सामने 25 फरवरी को संदिग्ध अवस्था में मिली स्कॉर्पियो के सामने आने के बाद ही एक दूसरे के खिलाफ बयानबाज़ी पर उतर आए हैं। इसके बाद मामला तब और संगीन हो गया जब केंद्र सरकार ने इस मामले की जांच एनआईए से कराने के आदेश कर दिए । जबकि पूर्व में ही महाराष्ट्र की अघाड़ी सरकार इस मामले में एटीएस से जांच करा रही थी।
जिस गाड़ी से मुकेश अंबानी के घर के सामने जिलेटिन की छड़े मिली उसके मालिक मनसुख हिरेन की संदिग्ध अवस्था में मौत होने के बाद यह मामला रहस्यमयी होता चला गया। मनसुख हीरेन की मौत स्कॉर्पियो में जिलेटिन पाने के 1 सप्ताह बाद यानी 5 मार्च को हुई। जब उनकी डेड बॉडी बरामद की गई थी तभी से कहा जाने लगा कि इस मामले के असली सूत्रधार हीरेन को रास्ते से हटा दिया गया।
इस प्रकरण में चौंकाने वाली बात यह रही कि महाराष्ट्र का गृह मंत्रालय अंबानी परिवार की सुरक्षा से संबंधित कोई जानकारी देता, इससे पहले ही प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक के बाद एक कई खुलासे कर डालें। यहां तक की देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले की जांच कर रहे एनकाउंटर स्पेशलिस्ट और क्राइम ब्रांच के वरिष्ठ अधिकारी सचिन वाजे और इस मामले के मुख्य आरोपी मनसुख हीरेन की आपस में हुई बातचीत के ऑडियो जारी कर दिए। साथ ही दोनों की कॉल डिटेल भी सामने ला दी । जिसमें दोनों की आपस में कई बार बातचीत हुई।
जिसमें संकेत मिल रहे हैं कि क्राइम ब्रांच के सीनियर ऑफिसर सचिन वाजे और मृतक मनसुख हिरेन के संबंध थे। इसकी पुष्टि एक मोबाइल की ऑडियो से भी हुई थी। जिसमें सचिन वाजे मनसुख हिरेन से कहते हुए सुने जा रहे हैं कि वह अरेस्ट हो जाएं और बाद में उन्हें वह दो-तीन दिन में बेल करा कर बाहर कर देंगे । इसके अलावा ऑडियो क्लिपिग में कई रहस्य उजागर हुए ।
मनसुख हिरेन की मौत के बाद एक और रहस्यमय प्रकरण सामने आया। जिसमें हिरेन की पत्नी कहती है कि उनके पति की मौत हो गई है और उनकी डेड बॉडी मिल गई है । लेकिन दूसरी तरफ उनके देवर तब तक डेड बॉडी की पहचान न करने की बात कह रहे थे । मामले में कई खुलासे सामने आ रहे हैं ।
इस मामले में सबसे पहले जैश- उल – हिंद ने जिम्मेदारी लेते हुए कहा था कि अंबानी के घर के सामने जिलेटिन की छड़े उसने ही रखवाई है । साथ ही इस आतंकी संगठन ने यह भी दावा किया था कि यह उसका ट्रेलर है, अभी पूरी फिल्म बाकी है। हालांकि इस बात तो पुलिस पहले से ही फर्जी करार दे रही थी । आतंकी संगठन ने बाद में इस मामले से अपने हाथ खड़े कर दिए ।
इसके बाद यह जांच दूसरी तरफ चली गई। जिसमें गाड़ी चोरी करने के बाद जिस तरह इस उसका चेचिस नंबर मिटाया गया उससे भी कई सवाल खड़े होते हैं। आखिर चेसिस नंबर गाड़ी चोरी होने के पहले मिटाया गया या पुलिस कस्टडी में ? इसी के साथ ही बरामद हुई स्कॉर्पियो गाड़ी में अंबानी ग्रुप की कई गाड़ियों के नंबर प्लेट भी मिली थी। जिससे पुलिस की जांच यहां तक पहुंची की हो न हो जरूर कोई न कोई इस प्रकरण में अंबानी परिवार से जुड़ा हुआ है। जो उनकी गाड़ियों के नंबर तक ट्रेस करके आरोपियों तक पहुंचा रहा है । हालांकि पुलिस अभी तक उन व्यक्तियों तक नहीं पहुंची है जो अंबानी परिवार की गाड़ियों के नंबर ट्रेस कर रहा था।
फिलहाल पुलिस ऑफिसर सचिन वाजे की गिरफ्तारी हो चुकी है। 12 घंटे की पूछताछ के बाद आखिर देर रात एनआईए ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है। हालांकि इस मामले में एटीएस थोड़ा पिछड़ी हुई दिख रही है। प्रदेश की आघाडी सरकार का आरोप है कि केंद्र सरकार ने इस मामले में जबरन एनआईए को शामिल करके उनकी सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की है।
गौरतलब है कि सचिन वाजे वही अधिकारी है जिस पर वर्ष 2004 में ख्वाजा यूनुस के कथित एनकाउंटर के आरोप लगे थे। ख्वाजा यूनिस की मौत के मामले में सचिन वजह निलंबित भी किए गए थे । करीब 16 साल तक वह निलंबित रहे। इसके बाद वर्ष 2020 में वह बहाल हुए और मुंबई क्राइम ब्रांच की सीआईए इकाई का वर्तमान में नेतृत्व कर रहे हैं।
कहां तो यहां तक जाता है कि सचिन वाजे जब ख्वाजा यूनुस के तथाकथित एनकाउंटर में निलंबित चल रहे थे इस दौरान वह शिवसेना की राजनीति से भी जुड़े रहे थे । हालांकि शिवसेना इससे इंकार करती है । भाजपा के द्वारा सचिन वाजे के मामले में शिवसेना को घेरने का एक कारण यह भी बताया जा रहा है।
फिलहाल , देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी के परिवार की सुरक्षा से जुड़ा यह मामला सियासत का शिकार हो चुका है। जांच होनी चाहिए थी कि आखिर अंबानी परिवार के घर के सामने बरामद हुई स्कॉर्पियो और उसमें पाई गई जिलेटिन की छड़ी किसने और क्यों वहां पहुंचाई थी ? क्या इसके पीछे अंबानी परिवार से वसूली थी या यह इस आर्थिक साम्राज्य के सुप्रीमो परिवार को डराने की कोशिश थी ? लेकिन जांच अब पूरी तरह भटकती हुई प्रतीत हो रही है। मामला राजनीति का शिकार हो चुका है और अंबानी परिवार की सुरक्षा की जांच की बजाय लग रहा है कि यह प्रकरण अब क्राइम ब्रांच के ऑफिसर सचिन वाजे की जांच तक सीमित होकर रह गया है।