विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, करीब 7 लाख से ज्यादा लोग हर साल सुसाइड कर लेते हैं। करोड़ों लोग जीवन से निराश होकर आत्महत्या का प्रयास करते हैं। पूरी दुनिया इस पर रोक लगाने के लिए अग्रसर है तो वहीं एक देश ऐसा है जो आत्महत्या के लिए विकल्प भी दे रहा है। लोगों को बिना दर्द मौत का ऑप्शन दे रहा है।
गौरतलब है कि मानव पीड़ा को कम करने और जीवन को आसान बनाने के लिए दुनिया में विभिन्न तकनीकी खोजें हो रही हैं। दुनिया बड़ी तेजी से विज्ञान में नित नए प्रयोग कर रही है।
इसी क्रम में अब एक ऐसा उपकरण विकसित किया गया है जो मानव की इच्छा मृत्यु की लालसा को पूरा कर सकेगी। ये एक ताबूत के आकार की ‘सुसाइड मशीन’ है। इसे एक देश में इस्तेमाल के लिए मंजूरी भी मिल गई है। यह देश है स्विट्जरलैंड…
इस मशीन की मदद से जो व्यक्ति मरना चाहता है वह बिना किसी दर्द के शांति से मौत को गले लगा सकेगा।
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कैसे काम करती है यह मशीन?
इस मशीन के निर्माता के अनुसार इच्छामृत्यु पाने वाला व्यक्ति मशीन में प्रवेश करता है और मशीन को बंद करने के बाद मशीन में ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है। इसलिए हाइपोक्सिया और हाइपोकैपेनिया मृत्यु का कारण बनते हैं।
इस मशीन को मशीन के अंदर से संचालित किया जा सकता है। कंपनी ने कहा कि यह उपकरण उन रोगियों के लिए उपयोगी हो सकता है जो बीमारी के कारण बोलने या चलने में असमर्थ हैं।
यह मशीन मौत की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को जहां चाहे ले जा सकती है। इसके बाद मशीन के ‘डिग्रेडेबल कैप्सूल’ को अलग कर दिया जाता है। बाकी को ताबूत के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
मशीन का जन्म कैसे हुआ?
इस आत्मघाती मशीन को बनाने का विचार गैर-लाभकारी संगठन ‘एक्जिट इंटरनेशनल’ के निदेशक और डॉ फिलिप नित्स्चके ने पेश किया था।
डॉक्टर डेथ ने कहा, “अगर कोई बाधा नहीं उत्पन्न होती है, तो अगले साल के भीतर देश में सार्को मशीन उपलब्ध हो जाएगी।” उन्होंने यह भी कहा कि यह अब तक का सबसे महंगा प्रोजेक्ट है।
कंपनी के मुताबिक, सार्को की दो मशीनें इस्तेमाल के लिए तैयार हैं और एक तीसरी निर्माणाधीन है। मशीन अगले साल तक उपयोग में आ सकती है।