अस्पतालों में डाॅक्टरों पर मरीजों के परिजनों द्वारा हो रहे हमला या मारपीट की वजह से देश भर में डाॅक्टर नाराज हैं। उनकी यह नाराजगी हड़ताल के तौर पर सामने आरही है। आईएमए के नेतृत्व में डाॅक्टर अस्पतालों में हड़ताल कर रहे हैं।
देश की राजधानी दिल्ली में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए ) के आह्नान पर हुई हड़ताल से दिल्ली की स्वास्थ्य सेवा बेहाल हो गई। कई जगहों पर डाॅक्टरों के निजी क्लीनिक, नर्सिंग होम और अस्पताल में आउटडोर ठप रहे। 12 घंटे की इस हड़ताल के बाद शाम छह बजे से कामकाज शुरू हुआ। लोकनायक और महर्षि बाल्मीकि अस्पताल में डाॅक्टरों से मारपीट के विरोध स्वरूप गुरुनानक, जीबी पंत, बाल्मीकि, सुश्रुत ट्राॅमा आदि अस्पतालों में डाॅक्टर हड़ताल पर रहे। डाॅक्टरों की एसोसिएशन ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाॅ हर्षवर्धन को पत्र लिखकर डाॅक्टों को सुरक्षा मुहैया कराए जाने की मांग की है।
दूसरी ओर बिहार में चमकी बुखार पीड़ित बच्चों को उचित स्वास्थ्य सुविधाएं न मिलने से नाराज बच्चों को देखने आए राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय का एसकेएमसीएच में डाॅक्टरों ने घेराव किया।
सीवान, सीतामढ़ी और कोलकता में डाॅक्टरों पर हमले के विरोध में डाॅक्टर 12 घंटे हड़ताल पर रहे। अस्पताल में जो काउंटर की सेवा से अलग रखा। इसके कारण शहर के चिकित्सा के जूरनछपरा, ब्रह्मपुरा एवं दाउदपुर रोड में कई नर्सिग होम और क्लीनिक के शटर गिरे रहे। चिकित्सकों के नर्सिंग होम में आउटडोर तो बंद रहे लेकिन इमरजेंसी सेवा जारी रही। कई राज्यों से भर्ती मरीजों का भी इलाज किया गया। डाॅक्टर पर्दे के पीछे मरीजों का इलाज करते रहे। सदर अस्पताल में ओपीडी संचालित हुआ। वहीं, एसकेएमसीएच में 10 बजे के बाद ओपीडी में जांच को आये मरीज इधर-उधर भटकने लगे।
आईएमए के डाॅ. संजय कुमार एवं डाॅ रंधीर कुमार ने हड़ताल को सफल बताते हुए कहा कि सिर्फ चमकी और बुखार के मरीजों को छोड़कर पूरी चिकित्सा सेवा ठप रही है। पूर्व घोषणा के अनुसार केजरीवाल अस्पताल के साथ बच्चों के इलाज से जुड़े किसी भी निजी और सरकारी अस्पताल के इमरजेंसी सेवा को बाधित नहीं किया गया है।