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मुफ्त बस सेवा के विरोध में बेंगलुरू में हड़ताल

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महिलाओं को सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कर्नाटक सरकार द्वारा जारी की गयी मुफ्त बस यात्रा योजना के विरोध में बेंगलुरु के निजी परिवहन ऑपरेटर ने हड़ताल  कर दी है। दरअसल कर्नाटक सरकार द्वारा जारी की गयी वह योजना अब निजी परिवहन चालकों के लिए घाटे का कारण बनती जा रही है। जिसके विरोध में निजी बस, ऑटो टैक्सी तथा माल वाहक सहित निजी कमर्शियल वाहन 11 सितंबर, 2023 के दिन से हड़ताल पर चले गए हैं।

 

हड़ताल के कारण 9 लाख से अधिक वाहन सड़कों से गायब रहे, जिसके परिणाम यह हुआ परिवहन प्रभावित हुआ और जनता को भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। परिवहन विभाग ने शहर से हवाई अड्डे की ओर जाने वाले रास्ते के लिए अतिरिक्त बसें तैनात की। प्रदर्शनकारियों द्वारा हड़ताल का उल्लंघन करने और यात्रियों को ले जाने वाले पर ऑटो चालकों पर हमला करने की खबरें भी सामने आई हैं।

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मिडिया रिपोर्ट्स के अनुसार फेडरेशन ऑफ कर्नाटक स्टेट प्राइवेट ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के तहत 10 सितंबर के मध्यरात्रि को 32 परिवहन यूनियनों ने हड़ताल का आह्वान किया था। ये यूनियन महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा प्रदान करने वाली राज्य सरकार की ‘शक्ति’ योजना के कारण हुए नुकसान के लिए मुआवजे की मांग कर रहे हैं। जून 2023 से कर्नाटक सरकार ने महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा प्रदान करने वाली ‘शक्ति’ योजना शुरू की थी। इसके कारण पहले से ही महामारी से जूझ रहे निजी ऑपरेटरों को एक अनुमान के अनुसार 40 प्रतिशत से अधिक का व्यावसायिक नुकसान हुआ। इनकी कहना है यह विरोध चलता रहेगा जब तक की लिखित आश्वासन नहीं मिलता। वहीं इनकी प्रमुख मांगों में रैपिडो जैसी बाइक-टैक्सियों के सञ्चालन में रोक, वाणिज्यिक वाहनों पर आजीवन कर लगाने के प्रस्ताव को रद्द और एक विकास निगम की स्थापना करना व एग्रीगेटर्स के लिए एक ही दर लागू करना जैसी चीजें शामिल है। निजी परिवहन के ड्राइवर यह भी मांग कर रहे हैं कि बेंगलुरु में ‘एक-शहर-एक-दर’ लागू किया जाए, जहां शहर के भीतर या हवाई अड्डे तक खानपान की कीमतें अलग-अलग नहीं हो सकती हैं।

 

सिद्धारमैया का क्या कहना है

 

एक ओर निजी परिवहन ऑपरेटर की हड़ताल जारी है तो वहीं दूसरी  ओर सिद्धारमैया ने उनकी मांगों पर विचार करने से मना कर दिया।  मिडिया रिपोर्ट के अनुसार ‘अगर वे असंभव मांगें रखते हैं तो हम कुछ नहीं कर सकते।  हमने शक्ति योजना लागू की है, जिसके बाद महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा की सुविधा दी गई। निजी परिवहन प्रदाताओं का कहना है कि इससे उन्हें परेशानी हुई है और कोई भी महिला अब निजी परिवहन का उपयोग नहीं कर रही है. क्या हम उन्हें पैसे दे सकते हैं? निजी बसें मांग कर रही हैं कि हम नुकसान की भरपाई करें क्योंकि महिलाएं उनके वाहनों का उपयोग नहीं कर रही हैं! यह व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है।

 

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