बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर एक बार फिर से बड़े सवाल खड़े हुए हैं। मामला खगड़िया जिले से जुड़ा हुआ है जहां डॉक्टरों की लापरवाही इस कदर देखने को मिली जिसे सुनकर हर कोई हैरान है।
दरअसल,बिहार के खगड़िया में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही सामने आई है,जहां अलौली प्रखंड के परबत्ता प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 30 महिलाएं नसबंदी के लिए अस्पताल पहुंची थी लेकिन डॉक्टर ने इस कदर की लापरवाही दिखाई कि इन 30 महिलाओं में से 23 महिलाओं को नसबंदी का ऑपरेशन बगैर बेहोश किए ही कर दिया। इस दौरान महिलायें चीखती और चिल्लाती रही लेकिन न तो उनको बेहोश किया गया और न ही कोई दर्द को रोकने वाली दवा दी गई। दर्द से चीखती महिलाओं को देखकर 7 महिलाएं वहां से भाग गई। इस घटना में पीड़ित महिलाओं का कहना है कि उनको बिना बेहोश किए ही नसबंदी का ऑपरेशन कर दिया गया है। नसबंदी की ऑपरेशन के दौरान कई महिलाएं दर्द से तड़पती रही लेकिन डॉक्टर लापरवाही की हद को पार करते हुए चीरा लगाते रहे है।
गौरतलब है कि राज्य की महागठबंधन सरकार ने राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए मिशन ’60 डेज’ के तहत मरीज को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाने की कवायद शुरू की है,लेकिन खगड़िया जिले की घटना ने बिहार स्वास्थ्य विभाग की पोल खोल कर रख दी है। इससे पहले भी स्वास्थ्य केंद्र पर लापरवाही देखने को मिली थी। जहां एक ही कमरे में जमीन पर लिटाकर ऑपरेशन किया गया था। अधिकारियों का कहना है कि नसबंदी मरीज को बेहोशी की सुई देनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ है तो पूरे मामले की जांच करवा कर दोषी पर कार्रवाई की जाएगी। यह पहला मामला नहीं है। खगड़िया में बीते कुछ दिनों से मरीजों के साथ लापरवाही के कई मामले सामने आए हैं । जिससे खगड़िया के स्वास्थ्य व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह खड़ा हो रहा है।
उल्लेखनीय है कि ऑपरेशन के लिए महिलाओं की संख्या अस्पताल की क्षमता के मुताबिक तय की जाती है,लेकिन लालच और ज्यादा कमीशन पाने के चक्कर में सभी नियमों की अनदेखी बिहार में लगातार देखने को मिल रही है। ऐसे में जब कोई अनहोनी होती है तब पूरा प्रशासन कारण जानने के लिए जांच बैठाता है लेकिन अमूमन ऐसे हादसों के पीछे का कारण लापरवाही ही होती है।