“गुजरात सरकार को फिलहाल कोरोना से लड़ने के लिए मेडिकल उपकरण और चिकित्सीय सामग्री की सख्त जरूरत है। जिसकी पूर्ति करने के लिए स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को सेल किया जा रहा है। दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति को खरीदकर आप गुजरात की सहायता कर सकते हैं। इसकी कीमत है 30 हजार करोड़ रुपये।”
जब यह विज्ञापन ऑनलाइन कंपनी OLX पर डाला गया तो किसी को एक बारगी विश्वास ही नहीं हुआ कि ऐसा भी हो सकता है। इस मूर्ति को बनवाने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरी जान लगा दी थी। यही नहीं बल्कि मोदी का यह ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है। उसी प्रदेश गुजरात के रहने वाले मोदी सरकार को जब यह पता चला तो झटका लगना वाजिब था।
आखिर गुजरात का नाम लेकर कोई कैसे दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति स्टेचू ऑफ यूनिटी को बेचने के लिए OLX पर विज्ञापन दे सकता है। लेकिन ऐसा हुआ और जब इसकी चर्चा पूरे देश-दुनिया में होने लगी तो तब जाकर गुजरात सरकार जागी। इसके बाद स्टैचू ऑफ यूनिटी के असिस्टेंट कमिश्नर ने अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज कराया। लेकिन अभी तक पुलिस इस फ्रॉडनामे को अंजाम देने वाले को गिरफ्तार नहीं कर पाई है। हालांकि बाद में ओएल एक्स ने इस विज्ञापन को अपनी साइट से हटा दिया।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी परिसर के असिस्टेंट कमिश्ननर नीलेश दुबे द्वारा पत्रकारों को भेजी गई प्रेस रिलीज में कहा गया कि एक अज्ञात व्यक्ति ने गलत इरादे से सरकार को बदनाम करने के लिए स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को OLX पर सेल के लिए डाला था। इसके बावजूद कि उस व्यक्ति को इस प्रकार का कोई अधिकार नहीं था। इस घटना से यह भी साबित होता है कि कंपनी OLX अपने यहां आने वाले विज्ञापनों की जांच नहीं करती है और साइट पर पब्लिश होने की अनुमति दे देती है।
इसके बाद केवलिया कॉलोनी पुलिस थाने में अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ आईपीसी की धारा 505 (अफवाह फैलाने), धारा 417 (धोखाधड़ी), धारा 469 (जालसाजी) और अन्य संबंधित धाराओं में रिपोर्ट दर्ज करा दी गई है। फिलहाल, एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस आरोपी का पता लगाने में जुटी है।
गौरतलब है कि 31 अक्टूबर 2018 को स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने किया था। इसकी ऊंचाई 182 मीटर (597 फीट) है। यहां बहुत बडी संख्या में पर्यटक पहुचते हैं। हालांकि, फिलहाल कोरोना वायरस महामारी के चलते इस साइट को गुजरात सरकार ने 17 मार्च से बंद कर रखा है।