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इस राज्य में सर या मैडम की जगह केवल टीचर शब्द का किया जाएगा प्रयोग

केरल राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा एक बड़ा फैसला लिया गया है जिसके तहत राज्य के सभी स्कूलों में शिक्षकों को मैडम या सर से सम्बोधित करने की बजाय बच्चे उन्हें टीचर ,शिक्षक ,कह कर सम्बोधित करेंगे। इसके लिए सभी स्कूलों को दिशा निर्देश दिए गए हैं। आयोग के मुताबिक ये शब्द उन्हें संबोधित करने के लिए ‘सर’ या ‘मैडम’ जैसे मानदण्डों की तुलना में ज्यादा न्यूट्रल शब्द है। सर या मैडम के बजाय “टीचर” कहने से सभी स्कूलों के बच्चों के बीच समानता बनी रहेगी और वे अपने शिक्षकों के प्रति ज्यादा लगाव महसूस करेंगे। राज्य के स्कूलों में लैंगिक समानता के नजरिये से यह बेहद अहम फैसला लिया गया है। इसके अलावा सामान्य शिक्षा विभाग को निर्देश देकर इस संबंध में दो महीने के भीतर एक्शन लेने की रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है।

क्यों लिया गया यह फैसला

 

गौरतलब है कि इस फैसले से पहले एक व्यक्ति द्वारा याचिका दायर की गई थी। जिसमें कहा गया था कि शिक्षकों को उनके लिंग के अनुसार सर और मैडम संबोधित करने वाले भेदभाव को समाप्त किया जाए। जिसके बाद ही ये निर्देश पारित किया गया । यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता बोबन मत्तुमंता ने डाली थी। जिनका कहना है कि सर या मैडम का इस्तेमाल संविधान के आर्टिकल 14 (कानून के सामने समानता), आर्टिकल 15 (धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म स्थान के साथ भेदभाव) और आर्टिकल 19(1) (बोलने और अभिव्यक्ति की स्वंत्रता) का उल्लंघन करता है। याचिकाकर्ता ने राज्यपाल से भी अपील की थी जिसके बाद बाल संरक्षण आयोग ने इसे जरूरी समझा और इसपर फैसला लिया।

लैंगिक समानता सीधा अर्थ है लोगों के सामान अधिकार से है जिससे उन्हें सामान अधिकार मिल सके। इसलिए हमें जेंडर की बनाई अवधारणा को खत्म करने और केवल स्त्री और पुरुष तक ही दो लैंगिक पहचान के महत्व देने वाली सोच से आगे निकलना होगा। देश भर में समय – समय पर इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। जिससे संस्थान, स्कूल आदि के माहौल को जेंडर के आधार पर अधिक संवेदनशील और समावेशी बनाया जा सके। केरल सरकार जेंडर न्यूट्रल शिक्षा के लिए लगातार कदम उठा रही है। साल 2021 में राज्य में लगातार महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के बाद मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन द्वारा राज्य की स्कूली शिक्षा को लैंगिक रूप से संवेदनशील बनाने के लिए कहा गया था। राज्य में इसी दिशा में एक कदम उठाया गया है। अकादिम वर्ष 2023-24 से केवल लड़के या लड़कियों के स्कूल को बंद कर को-स्कूल एजुकेशन को बढ़ावा दिया जाएगा। हालांकि बड़े स्तर पर इस संदर्भ में राज्य सरकार को राजनीतिक विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट मुताबिक केरल सरकार ने राजनीतिक विरोध के बाद जेंडर न्यूट्रल शिक्षा के लिए उठाए गए कदमों में से कुछ फैसलों को वापिस लिया।

जेंडर न्यूट्रल एजुकेशन को प्रमोट करने के लिए भारत में जितने कदम उठाए जाा रहे हैं उतना ही उनका विरोध भी हो रहा है। गौरतलब है कि साल 2021 की नवभारत भारत टाइम्स की ख़बर अनुसार एनसीआरटीई ने जेंडर न्यूट्रल ट्रेनिंग मैन्यूअल को अपनी साइट्स से हटा लिया था। दरअसल एनसीईआरटी ने एजुकेशन सिस्टम को समावेशी बनाने के लिए यह मैनुअल बनाया था जिसे राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा विसंगतियों को दर्ज कराने के बाद हटा लिया गया था।

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