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भारी भरकम जुर्माना का जनता में विरोध देख घबराई राज्य सरकारे  

चालान के नए नियमो के तहत भारी जुर्माने के साथ अन्य राज्यों में लागू मोटर व्हीकल एक्ट की कई चौंकाने वाली खबरें लगातार सामने आ रहीं हैं। पहली खबर गुड़गांव में एक स्कूटी सवार का 23 हजार रुपये का चालान कटने की आई। इसके बाद दिल्ली में बाइक का 25000 रुपये का चालान कटने पर युवक ने उसे वहीं आग लगा दी थी। इसके अलावा एनसीआर में बाइक का 24000 व 35000 रुपये, रेवाड़ी में ट्रक 1,16,000 रुपये, गुड़गांव में ट्रैक्टर का 59000 और दिल्ली में ट्रक वाले का 1,41,000 रुपये के चालान की खबरों ने वाहन चालकों को दहशत में डाल दिया है।फलस्वरूप कई राज्यों में भारी चालान जुर्माने को लेकर उहापोह की स्थिति है। कई राज्यों ने राशि को आधी कर दिया है।
मध्य प्रदेश और पंजाब ने जहां सीधे तौर पर इसे लागू करने से मना कर दिया है और कहा कि वह अध्ययन कर रहे हैं। वहीं उत्तराखंड ने कैबिनेट की बैठक बुलाकर कुछ पेनाल्टी को बदलने का निर्णय ले लिया और जुर्माना राशि आधी कर दी । जबकि झारखंड नेतृत्व ने दूसरे राज्यों में चल रही कवायद पर नजर रखने का आदेश दिया है। जाहिर है कि कुछ माह में आने वाले चुनाव को देखते हुए अंदर कसमसाहट है और जल्द ही इस नियम में बदलाव होंगे।
हिमाचल प्रदेश में यह अभी तक यह लागू नहीं है, और माना जा रहा है कि वहां भी कैबिनेट के जरिए बदलाव लाने के बाद ही इसे लागू किया जाएगा। हरियाणा में यह शुरूआती कुछ दिनों तक तो यह लागू रहा, लेकिन बाद में अनौपचारिक रूप से पुलिस को निर्देश दे दिया गया है कि बड़े चालान न काटें। जबकि महाराष्ट्र में इसे स्थगित कर दिया गया है। यानी नए नियम रोक दिए गए।

केंद्र की भाजपा सरकार के लिए यह असहज है क्योंकि बड़ी मशक्कत के साथ इसे संसद से पारित करवाया गया था। विपक्ष की ओर से इसे स्थायी समिति में भेजने का दबाव था। बताया तो यह भी जा रहा है कि पूर्व की बैठकों में कम से कम भाजपा की सभी राज्य सरकारों ने समर्थन किया था, लेकिन अब जनता के रोष को देखते हुए हाथ पांव फूलने लगे हैं।

राज्यों की मजबूरी अब केंद्र को भी समझ आ रही है। यही कारण है कि अब केंद्र से बताया जा रहा है कि राज्य चाहें तो वह कुछ बदलाव ला सकते हैं। उत्तराखंड सरकार ने बदलाव किया है। उत्तराखंड में जुर्माना राशि आधी कर दी गई है वहीं, गुजरात ने भी औपचारिक रूप से जुर्माना राशि आधी कर दी है।
हालांकि इसे खारिज नहीं किया जा सकता है कि अगले साल होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रदेश भाजपा भी ऐसा आग्रह लेकर केंद्र के सामने पहुंचे। माना जा रहा है कि केंद्र भी देर सबेर कुछ बदलाव की सोच सकता है।

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