तमिनलाडू में विधानसभा चुनाव में प्रंचड जीत करने वाली पार्टी डीएमके के प्रमुख मुथुवेल करुणानिधि स्टालिन ने शुक्रवार 7 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। प्रदेश के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने उन्हें राजभवन में आयोजित समारोह में स्टालिन को पद की गरिमा और गोपनीयता की शपथ दिलाई।
डीमके में आने के बाद पहली बार स्टालिन तमिलनाडू के मुख्यमंत्री बने है। डीएके ने इस बार भारी मतों से राज्य में विजय प्राप्त कर सत्ता पर आसीन एआईएडीएमके को बाहर का रास्ता दिखाया।
स्टालिन के शपथ समारोह में एआईएडीएमके ओ पनीरसेल्वम, कांग्रेस के पी चिदंबरम समेत गठबंधन के नेता, एमडीएमके अध्यक्ष वाइको और राज्य के शीर्ष अधिकारी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए। शपथ समारोह सरमनी कोविड़ के बढ़ते मामलों को देखते हुए साधारण रखी गई, केवल 300 लोगों को नियोता दिया गया था।
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समारोह में आने वाले सभी नेताओं के लिए मॉस्क पहनना अनिवार्य था। दो महिलाओं समेत 33 मंत्रियों ने भी शपथ ली। 234 विधानसभा सीटों में से डीएमके ने अकेले 133 सीटें जीती। पहली बार चुनाव मैदान में उतरे और विधायक बने स्टालिन के बेटे उदयनिधि को कोई भी मंत्री पद नहीं दिया गया है।
गृह, सामान्य प्रशासन, विशेष पहल, विशेष कार्यक्रम कार्यान्वयन और अलग-अलग व्यक्तियों के कल्याण सहित कई विभागों विभागों को खुद स्टालिन संभालेंगे। उनकी कैबिनेट ने युवाओं और अनुभवी दोनों को संतुलित करने का वादा किया है।
यह छठी बार होगा जब मुख्यमंत्री 1967 से डीएमके से होंगे, जब पार्टी के संस्थापक सी एन अन्नादुरई पहली बार इस पद के लिए चुने गए थे। इसके बाद स्टालिन के पिता एम करुणानिधि ने पद संभाला। इस बीच, तमिलनाडु ने गुरुवार को कोविड़ -19 के 24,898 पॉजिटिव मामले दर्ज किए, जिससे राज्य में कुल मरीजों की संख्या 12,97,500 हो गई। इनमें से, चेन्नई में 6678 पॉजिटिव मामले दर्ज किए, जिससे चेन्नई में कुल संख्या 3,70,596 हो गई।
केंद्र के प्रति नाराजगी और एंटी इनकंबेंसी को भुनाकर तमिलनाडु में 10 साल बाद एक बार फिर डीएमके की वापसी हुई है। 40 सालों में पहली बार दोनों पार्टियां अपने प्रमुख चेहरों जयललिता और करुणानिधि के बिना चुनाव लडा था। डीएमके ने स्टालिन के नेतृत्व में तो, जयललिता के विरासत के झगड़े के बीच अन्नाद्रमुक ने ई पलानिस्वामी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा।