उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के गढ़ मैनपुरी में समाजवादी पार्टी (सपा) का कार्यालय जिला प्रशासन ने खाली कर दिया है। जिस स्थान पर एसपी का नगर कार्यालय बना था, वह स्थान जिला पंचायत द्वारा आवंटित किया गया था।
उसी पट्टे को खारिज करते हुए प्रशासन ने कार्यालय खाली कर दिया। प्रशासन का कहना है कि नियमों का उल्लंघन किया गया है। वहीं सपा नेताओं का कहना है कि राजनीतिक द्वेष के चलते ऐसा किया जा रहा है, हम मामले को कोर्ट तक ले जाएंगे। मैनपुरी के देवी रोड नगरपालिका के पास एसपी का अपना नगरपालिका कार्यालय था।
इस पर 9 सितंबर को जिला पंचायत विभाग के अपर मुख्य अधिकारी ओपी सिंह ने नोटिस चिपका दिया था। नोटिस में लिखा गया था कि एसपी नगर कार्यालय के लिए जिला पंचायत की जमीन पर दो कमरे आवंटित किए गए थे, यह पट्टा 5 सितंबर को कार्यालय स्थानांतरित होने के कारण खारिज कर दिया गया है, कार्यालय दो दिनों में खाली किया जाना चाहिए।
इसके बाद भी जब एसपी ने कार्यालय खाली नहीं किया तो प्रशासनिक अधिकारी पुलिस बल के साथ एसपी कार्यालय खाली करने पहुंचे और कार्यालय में रखा फर्नीचर व अन्य सामान ट्रैक्टर ट्राली में लाद दिया। इसके बाद कार्यालय में ताला लगा दिया गया। साथ ही एसपी के नगर कार्यालय के बोर्ड पर पेंट भी कर दिया गया है।
इस मामले में जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी ओपी सिंह ने बताया कि 1994 में दस साल के लिए लीज दी गई थी, तब एसपी कार्यालय के लिए 90 साल का लीज था, तब पार्टी का नया कार्यालय नहीं बना। सरकार ने 9 सितंबर को निर्देश पर कार्यालय खाली करने का नोटिस दिया था।
नए एसपी कार्यालय के गठन के बाद सरकार ने जिला पंचायत की जमीन खाली कर दी है। यहां जिला पंचायत अपना परिसर बनाएगी। इस मामले में सदर के पूर्व विधायक राजू यादव अपने कार्यकर्ताओं के साथ जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली। उनका कहना है कि यह कार्रवाई पूरी तरह से गलत है।
इस मामले पर जब ‘द संडे पोस्ट’ ने समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजकुमार भाटी से बात की तो उन्होंने कहा कि ये लोग विरोधी पार्टियों को परेशान करते हैं, उनके खिलाफ फर्जी मुकदमे कराते हैं, फर्जी कार्रवाई करते हैं ऐसा करके लोकतंत्र को शर्मसार करते हैं। अगर सत्तारूढ़ पार्टी दूसरी पार्टियों के साथ शत्रुता का व्यवहार करेगी वो भी खास तौर से मुख्य विपक्षी दलों के साथ तो, ये चिंता का विषय है। पत्रकारों को भी इस पर चिंतन करना चाहिए लोकतंत्र में किसी की भी आवाज को दबाया न जाए। सवाल नियत का जब हमारी नियत खराब हो तो हम दस गलतियां निकाल सकते हैं। उदहारण : आरटीओ जब तय कर लें कि इस गाड़ी का चालान काटना ही है तो वो कोई न कोई कमी निकाल ही लेगा फिर चालान काट लेगा। तो यहां सवाल नियत का है लोगों को परेशान करना चाहते हैं या सहन शीलता से सरकार चलाना चाहते हैं। मूल बात यह है कि सरकार की नियत ही खराब है मूल उद्देश्य ही यह है कि दूसरी पार्टियों को परेशान किया जाए और केवल हम ही हम रहे देश में और किसी दूसरी पार्टी का अस्तित्व न बचे। लेकिन मैं ये भी कहूंगा की इतिहास इसका गवाह है कि जब-जब इस तरह की तानाशाही शक्तियां काम करती हैं तो उनके खिलाफ जनता बगावत कर देती है।