भाजपा के खिलाफ 2024 में मोर्चा खोलने के लिए कई स्तर पर विपक्षी एकता की कवायद चल रही है। लेकिन अभी से इसमें फूट भी नजर आने लगी है। भारत राष्ट्र समिति के अध्यक्ष केसीआर कांग्रेस से कन्नी काटते नजर आ रहे हैं। वह विपक्षी दलों को एक मंच पर लाना चाहते हैं मगर कांग्रेस को अलग ही रखना चाहते हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस भी रायपुर अधिवेशन के जरिए विपक्षी एकता को लेकर रणनीति में जुटी है। जानकारी के मुताबिक केसीआर अप्रैल में हैदराबाद में विपक्ष की रैली करने वाले हैं। इसके लिए अलग-अलग दलों से संपर्क अभियान शुरू हो गया है।
इस काम में लगे नेताओं के मुताबिक केसीआर ने ‘रेनबो अलायंस’ बनाने के लिए ही हैदराबाद में रैली का आयोजन करने का फैसला किया है। इस रैली में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव, आरजेडी के तेजस्वी यादव, उद्धव ठाकरे, जेडीएस के एचडी देवगौड़ा, डीएमके के एमके स्टालिन, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, जेएमएम चीफ हेमंत सोरेन, टीएमसी चीफ ममता बनर्जी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आमंत्रित किया जाएगा। राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक ज्यादातर नेताओं ने रैली में आने की इच्छा जताई है। वहीं ममता बनर्जी की तरफ से अभी तक प्रतिक्रिया नहीं मिली है। गौरतलब है कि इसी महीने केसीआर दिल्ली में भी एक राजनीतिक बैठक करना चाहते हैं। कुछ दिन पहले ही नीतीश कुमार ने कहा था कि वह विपक्षी एकता को लेकर कांग्रेस के रुख का इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद से केसीआर ने अभियान और तेज कर दिया है।

चर्चा है कि 14 अप्रैल को बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर की जयंती के मौके पर कई दल रैली करना चाहते हैं। केसीआर 2022 की शुरुआत से ही भाजपा विरोधी गैर कांग्रेसी गठबंधन लिए प्रयास कर रहे हैं। जनवरी में विजयन, अरविंद केजरीवाल, भगवंत मान, अखिलेश यादव और डी राजा ने केसीआर की रैली में शिरकत की थी। तेलंगाना में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर केसीआर ने अपनी ताकत का प्रदर्शन खम्मम की रैली में किया था। केसीआर आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों को अपने साथ लाने का प्रयास कर रहे हैं।
इससे वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले भी केसीआर और ममता बनर्जी ने कोलकाता में यूनाइटेड इंडिया रैली की थी। इसमें बड़े दलों के नेता शामिल हुए थे। हालांकि आम चुनाव के लिए कोई गठबंधन नहीं बन पाया था। जानकारों का कहना है कि केसीआर की दिक्कत यही है कि वह कांग्रेस को अलग रखना चाहते हैं इससे विपक्षी एकता में खलल पड़ रहा है।