गृह मंत्रालय ने उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक के बाद पूर्व प्रधनमंत्री मनमोहन से स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप की सुरक्षा कवच से हटाने का निर्णय लिया है। 1985 में गठित इस विशेष सुरक्षा बल का दायित्व प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्रियों की एवं उनके परिवारों की सुरक्षा का है। इसके लिए संसद में अलग से एसपीजी एक्ट बनाया गया था। 1988 में इस एक्ट को बनाया गया था तब इस विशेष सुरक्षा बल का जिम्मा केवल सिंटिग पीएम की सुरक्षा का था। राजीव गंाधी की हत्या के बाद 1991 में इस एक्ट में संशोधन कर पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवारों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी एसपीजी को दे दी गई। 1999 में अटल सरकार ने एसपीजी की कार्य प्रणाली में बदलाव करते हुए तीन पूर्व प्रधानमंत्रियों को मिला सुरक्षा कवच हटा लिया था। पीवी नरसिंह राव इंद्र कुमार गुजराल और एचडी देवगौड़ा से यह कवर हटाया गया था। 2003 में एसपीजी एक्ट में संसद ने संशोधन कर पूर्व प्रधानमंत्रियों को पद छोड़ने के 10 बरस तक मिलने वाली एसपीजी सुरक्षा का प्रावधान समाप्त कर मात्र एक वर्ष तक के लिए कर डाला। हालांकि अटल बिहारी के पीएम न रहने और केंद्र में कांग्रेस की सरकार आने के बाद भी उनको मिल रहे एसपीजी सुरक्षा यूपीए सरकार ने नहीं हटाई थी अब लेकिन पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और उनकी पत्नी गुरशरण कौर से एसपीजी प्रोजेक्शन भाजपा सरकार ने वापस ले लिया है। मनमोहन सिंह को एसपीजी के 200 सुरक्षाकर्मी यह सुरक्षा कवच देते थे। गृह मंत्रालय के अनुसार पूर्व पीएम को अब केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, सीआरपीएफ की जेडप्लस सुरक्षा कवज मिलेगा।
पूर्व पीएम से हटाई गई एसपीजी सुरक्षा, जेड प्लस सुरक्षा लेकिन रहेगी बरकरार
