इस बार का लोकसभा चुनाव न मन्दिर मुद्दे पर होगा और न विकास के मुद्दों पर। पिछले कुछ समय की गतिविधियां तो कमोवेश कुछ इसी तरह का संकेत दे रही हैं कि इस बार का लोकसभा चुनाव ईडी और सीबीआई के सहारे लड़ा जायेगा जिसकी शुरुआत रिवर फ्रंट घोटाले को लेकर ईडी और सीबीआई की छापेमारी से की जा चुकी है। इसी कड़ी में दूसरा हमला ईडी के सहारे बसपा के कार्यकाल में पार्कों और मूर्तियों पर अनियमित तरीके से किए गए खर्च को लेकर आज किया गया। गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल में पार्कों और मूर्तियों पर अनियमित तरीके से बेतहाशा सरकारी धन लुटाए जाने की जांच पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार ने शुरु करवायी थी। जांच का दायित्व लोकायुक्त को सौंपा गया था और इस सम्बन्ध में लोकायुक्त कार्यालय से रिपोर्ट भी काफी पहले सपा के कार्यकाल में भेजी जा चुकी थी। कहा जा रहा है कि पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार मायावती के खिलाफ शिकंजा कसती इससे पहले ही सपा का सूबे से पत्ता साफ हो गया और गंेद मौजूदा योगी सरकार के पाले में चली गयी और योगी सरकार ने भी इस मुद्दे को ठीक उसी तरह से संभाल कर रखा था जैसे जरूरत के समय काम आने के लिए कोई धन बचाकर रखता हो। बताते चलें कि किसी समय एक-दूसरे के कट्टर विरोधी माने जाने वाले सपा-बसपा वक्त की नजाकत को भांपकर हमसखा बन चुके हैं और भाजपा को टक्कर देने के लिए इन दोनों दलों ने महागठबन्धन की नींव रखी है। दोनों ही दलों ने भाजपा का पत्ता साफ करने का दावा कर रखा है।
बताया जाता है कि जिन दिनों भाजपा के सफाए को लेकर सपा-बसपा गठबन्धन की खिचड़ी पक रही थी उन्हीं दिनों भाजपाई खेमे में भी इन दोनों दलों की गठबन्धन को पटखनी देने की रणनीति तैयार कर ली गयी थी। उसी रणनीति का नतीजा है कि रिवर फ्रंट के बाद अब मायावती सरकार के कार्यकाल में किए गए कार्यों का पोस्टमार्टम किया जाने लगा है। बताते चलें कि पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार के कार्यकाल में ही जांच के दौरान 1400 करोड़ के घोटालों का खुलासा किए जाने का दावा किया गया था और इस सम्बन्ध में लगभग डेढ़ दर्जन अधिकारियों के खिलाफ आरोप तय किए गए थे।
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यकाल में किए गए खुलासे को ही मौजूदा योगी सरकार ने हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है और इसी आधार पर आज ठेकेदारों और अभियंताओं के घरों सहित उनके कई अन्य ठिकानों पर भी ईडी ने छापेमारी की। हालांकि ईडी ने अभी इस बात का खुलासा नही किया है कि छापेमारी में उसके हाथ कितना और क्या लगा है लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि ईडी ने इतनी जानकारी जुटा ली है कि उस जानकारी के सहारे बसपा प्रमुख मायावती समेत पार्टी के कई दिग्गजों को निशाना बनाया जा सकता है। कहा जा रहा है कि इस छापेमारी से भले ही बसपा का कोई अहित न हो लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान उसे बदनाम करने का पर्याप्त जखीरा मिल चुका है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार ईडी ने आज सरकार के निर्देश पर राजधानी लखनऊ के इलाकों में ताबड़तोड़ छापेमारी की। इंजीनियर और ठेकेदारों के लगभग आधा दर्जन ठिकानों का खंगाला गया।