देश में बढ़ती आबादी के साथ दूरसंचार कनेक्शन की मांग से निपटने की जरूरतों को देखते हुए भारतीय दूरसंचार विनियामक ने देश में मोबाइल फोन नंबर को वर्तमान 10 अंकों की जगह 11 अंक का किए जाने के बारे में लोगों के सुझाव मांगे हैं। भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने इस बारे में एक परिचर्चा पत्र जारी किया है जिसका शीर्षक है ‘एकीकृत अंक योजना का विकास।’
यह योजना मोबाइल और स्थिर दोनों प्रकार की लाइनों के लिए है। परिचर्चा पत्र में कहा गया है’ कि यदि यह मान कर चलें कि भारत में 2050 तक वायरलेस फोन गहनता 200 प्रतिशत हो (यानी हर व्यक्ति के पास औसतन दो मोबाइल कनेक्शन हों) तो इस देश में सक्रिय मोबाइल फोन की संख्या 3.28 अरब तक पहुंच जाएगी। इस समय देश में 1.2 अरब फोन कनेक्शन हैं। विनियामक का अनुमान है कि अंकों का यदि 70 प्रतिशत उपयोग मान कर चले तो उस समय तक देश में मोबाइल फोन के लिए 4.68 अरब नंबर की जरूरत होगी। सरकार मशीनों के बीच पारस्परिक इंटरनेट संपर्क/ इंटरनेट आफ दी थिंग्स के लिए 13 अंकों वाली नंबर श्रृंखला पहले ही शुरू कर चुकी है।
ट्राई की मानें तो देश में टेलीकॉम कनेक्शन को लेकर लोगों की जरूरतों को पूरा करने में 2050 तक का समय लगेगा। साथ ही 260 करोड़ अंकों की भी जरूरत होगी। इस वजह से ट्राई फोन के अंकों की संख्या में बढ़ोतरी कर सकता है। फिलहाल देश के पास नौ, सात और आठ नंबर से शुरू होने वाले 10 अंकों के मोबाइल नंबर्स की क्षमता 210 करोड़ कनेक्शन्स की हैं। इसके अलावा ट्राई ने इस मुद्दे पर लोगों से उनकी राय भी मांगी है।
इससे पहले ट्राई ने वर्ष 1993 और 2003 में मोबाइल नंबर्स का विश्लेषण किया था। ट्राई के अनुसार, कनेक्शन की मांग में आई तेजी से नंबरिंग रिसोर्सेज को खतरा हो सकता है। इस कारण ट्राई मोबाइल नंबर के डिजिट्स को बढ़ाना चाहता है। इतना ही नहीं ट्राई लैंडलाइन नंबर्स की संख्या को 10 डिजिट में बदल सकता है। सूत्रों की मानें तो डोंगल के कनेक्शन के नंबर्स को भी 13 अंकों में बदल दिया जाएगा।