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शैलजा को अध्यक्ष बनाकर सोनिया ने साधे एक तीर से दो निशाने 

पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा को हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक तीर से दो निशाने साधे । पहला यह कि पार्टी से बगावत करने की ओर अग्रसर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की उस बात को प्राथमिकता दी गई है जिसमें वह  कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर अशोक तंवर को हटाए जाने का अभियान चलाए हुए थे । एक तरह से तंवर को हटाकर और कुमारी शैलजा को प्रदेश का मुखिया बनाकर सोनिया गांधी ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को बढ़त दे दी है । जबकि दूसरी तरफ डॉक्टर अशोक तंवर को प्रदेश अध्यक्ष से हटाकर कुमारी शैलजा को कमान सौंपकर दलित कार्ड भी खेला गया है । शैलजा के अध्यक्ष बनने से और तंवर के हटाए जाने से जो दलितों में आक्रोष उभरने की संभावना थी वह अब नहीं होगी ।
गौरतलब है कि प्रदेश में 19 प्रतिशत मतदाता दलित समुदाय से है । जबकि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर अशोक तंवर भी दलित है  तो कुमारी शैलजा भी दलित है। नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा को गांधी परिवार का बहुत करीबी माना जाता है ।शैलजा पूर्व में मंत्री रहे चौधरी दलवीर सिंह की पुत्री है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि चौधरी दलबीर सिंह भी हरियाणा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद पर रह चुके हैं । सोनिया गांधी ने देर से ही सही पर उचित फैसला लिया है।  पार्टी को बैलेंस करने के लिए यह जरूरी हो गया था । खासकर तब से जब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर अशोक तंवर को अध्यक्ष पद से हटाने के लिए दिन रात एक किए हुए थे पिछले करीब 6 माह से
गौरतलब है कि हुड्डा का यही मुद्दा था । हुड्डा तंवर को कमजोर अध्यक्ष कहते रहे हैं तथा साथ ही वह हरियाणा में कांग्रेस की कमजोर स्थिति को तंवर की सक्रियता की कमी की वजह बताते रहे हैं । हालांकि कांग्रेस के नेताओं का भी यह कहना था कि तंवर जमीन से जुड़े हुए नेता नहीं है तथा हुड्डा के मुकाबले उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं से उनका लगाव नहीं रहा है ।
 बहरहाल ,कुमारी सेलजा के प्रदेश अध्यक्ष बन जाने के बाद अब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के लिए रास्ता साफ हो गया है । हो सकता है अब वह कांग्रेस छोड़कर नहीं जाए । शायद सोनिया गांधी ने भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा को पार्टी के पाले में बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया है। हालांकि हुड्डा की तंवर को प्रदेश अध्यक्ष हटाए जाने के साथ ही और भी कई शर्ते बताई जाती हैं ।
सूत्र बताते हैं कि हुड्डा आगामी विधानसभा चुनाव में प्रदेश के मुख्यमंत्री का चेहरा बनना चाहते हैं ।  3 दिन पूर्व सोनिया गांधी से मुलाकात के समय हुड्डा में अपनी इस मनसा को उनके सामने उजागर कर दिया था । इसी के साथ वह अपने पुत्र के लिए भी उचित पद मांग रहे हैं ।
 देखा जाए तो डॉक्टर अशोक तंवर के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटने का फायदा हुड्ढा को मिल सकता है । पार्टी में चर्चा जोरो से थी कि अगर डॉक्टर अशोक तंवर प्रदेश अध्यक्ष पद से हट जाते हैं तो आगामी विधानसभा चुनाव में हुड्डा अपने समर्थकों को पार्टी प्रत्याशी बनवा सकते हैं । हालांकि कुमारी शैलजा भी उनके पाले में कभी नहीं रही है।
अभी यह देखना बाकी है की हुड्डा पार्टी में ही रहेंगे या पूर्व योजना के तहत नई पार्टी का गठन करेंगे । इसी के साथ अब डॉक्टर अशोक तंवर पर भी सबकी नजरें गड़ी है । अध्यक्ष पद से हटने के बाद तंवर समर्थकों में निराशा के भाव पैदा होना स्वाभाविक है । ऐसे में कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी तंवर को कैसे संतुष्ट करेगी यह तो समय ही बताएगा,लेकिन फिलहाल सोनिया में तंवर को हटाकर और कुमारी शैलजा को प्रदेश की कमान सौंपकर हुड्डा और तंवर के बीच चल रहे शीत युद्ध को विराम देने की रणनीति चली है।

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