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कभी इंकार  – कभी इकरार, शिवसेना का सियासी प्यार 

कभी इंकार  – कभी इकरार । क्या यही है शिवसेना का सियासी प्यार । कुछ ऐसा ही आजकल महाराष्ट्र की राजनीति में  हो रहा है  । महाराष्ट्र में  तीन दशक से एक दूसरे के साथ  साए की तरह रहने वाली  भाजपा और शिवसेना  अचानक  विधानसभा चुनाव के बाद  अपना  साथ छोड़ बैठे । एक  सीएम की कुर्सी में  दोनों  30 साल पुराने  दोस्तों को सियासी  खेल का शिकार  बना दिया । अभी  2 दिन पहले की ही बात है  जब  भाजपा से शिवसेना की  50 – 50 फार्मूला पर  बात नहीं बनी  तो दोनों में  तकरार हो गया ।
 शिवसेना भाजपा को छोड़  कांग्रेस और एनसीपी के पाले में आ गई ।  लेकिन  वहां से भी जब उसकी सीएम कुर्सी को पाने की मंशा पूरी नहीं हुई । बाद में जब  मंगलवार को  प्रदेश के राज्यपाल  भगत सिंह कोश्यारी ने  प्रदेश में राष्ट्रपति शासन  लगा दिया तो  शिवसेना  एक बार  फिर से  बैकफुट पर  आती दिखाई दे रही है ।
बहरहाल,  किसी भी दल को बहुमत हासिल होने नहीं होने की वजह से महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर विवाद खड़ा हो गया। तय समय में एनसीपी और शिवसेना समर्थन नहीं जुटा सकीं जिसके कारण राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की। बाद में राष्ट्रपति ने राज्यपाल के इस सिफारिश को मंजूरी दे दी और अब महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है। गूगल
अब महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे से यह सवाल किया गया कि क्या अब बीजेपी का विकल्प पूरी तरह से खत्म हो गया है? इस सवाल पर उद्धव ठाकरे ने कहा,”आप इतनी जल्दी में क्यों है? यह राजनीति है। अभी राष्ट्रपति शासन है और 6 महीने का समय दिया गया है।” उद्धव ठाकरे ने दमदार ऐलान करते हुए कहा कि,”मैंने बीजेपी का विकल्प खत्म नहीं किया है, यह भाजपा ही थी जिसने ऐसा किया।”
हाल ही में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव 2019 संपन्न हुआ। इस चुनाव में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने 288 विधानसभा सीटों में से 105 सीटों पर जीत हासिल की। वहीं उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना ने 56 सीटों पर, शरद पवार की पार्टी एनसीपी ने 54 सीटों पर और कांग्रेस ने 44 सीटों पर जीत हासिल की।

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