कोरोना वायरस गरीबों के लिए बीमारी कम भूखमरी अधिक पैदा कर रहा है। पहले मजदूरों का रोजगार खत्म हुआ और अब उन्हें अन्न के लाले पड़ने शुरू हो गए हैं। सरकार कह रही है कि वो हरसंभव गरीबों के मदद के उपाय कर रही है पर भूखमरी के मामले रूकने का नाम नहीं ले रहे हैं। कई गरीब के घरों में चूल्हा तक नहीं जल पा रहा है। ऐसा ही एक मामला झारखंड के गोमिया प्रखंड के ललपनिया पंचायत अंतर्गत अय्यर गांव से सामने आया है।
यहां पिछले तीन दिनों से सोहराय मांझी और उसकी पत्नी बसंती देवी के घर चूल्हा नहीं जला है। सोहराय मांझी का पेट भूख से सूख-सा गया है। वे खाट पर पड़े हुए हैं। जबकि उसकी पत्नी बसंती का हाल भी दैनीय है। स्थानीय खबरों के मुताबिक, सोहराय मांझी के पास किसी भी तरह का राशन कार्ड नहीं है और न उन्हें किसी प्रकार पेंशन मिलता है। एक प्रकार से सरकार की सारी योजनाएं सोहराय के दरवाजे तक आते-आते खत्म हो जाती है।
सोहराय मांझी के सुगन हांसदा और जितेंद हांसदा नाम के दो बेटे हैं। गरीबी के चलते दोनों बेटे राज्य से बाहर जाकर काम करते हैं। जब यकायक पूरे देश में लॉकडाउन हुआ जिसके कारण वे वापस घर नहीं लौट पाए। दोनों वृद्ध पति-पत्नी यहीं गांव में रहते हैं। पिछले तीन दिनों से पति और पत्नी किसी ने घर से बाहर निकलते नहीं देखा तब पंसस के पति और सामाजिक कार्यकर्ता अनिल हांसदा ने उनकी खबर ली। फिर पता चला की दोनों पिछले तीन दिनों से भूखे हैं। उसके बाद तत्काल दोनों को दाल भात केंद्र से खिचड़ी लाकर खिलाया गया।
स्थानीय मुखिया बबली सोरेन ने बताया, “सोहराय मांझी का राशन कार्ड नहीं है। और तकनीकी कारणों से पेंशन योजना का भी लाभ नहीं मिलता है। लेकिन तीन दिन से भूखे हैं, इसकी जानकारी नहीं है।” सोरेन कहा कि सोहराय मांझी और उसकी पत्नी बसंती देवी को जल्द राशन मुहैया कराया जाएगा। हिंदुस्तान खबर के एक खबर के मुताबिक, गोमिया के पलिहारी गुरुडीह पंचायत अंतर्गत लटकुटा गांव में आठ दस परिवार अत्यंत ही गरीब हैं। इनके पास भी न तो राशन कार्ड है न ही इन्हें किसी प्रकार का सरकारी लाभ मिल रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता नसीम अंसारी बताते हैं कि लॉकडाउन के चलते कोई भी घर से बाहर नहीं जा पा रहा है, जिसके कारण लोग अपनी वेदना भी प्रकट नहीं कर पा रहे हैं।