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नहीं रहे समाजवादी नेता शरद यादव ,75 साल की उम्र में ली आखरी सांस

समाजवाद की एक बुलंद आवाज शरद यादव ने 75 साल की उम्र में ली आखरी सास,पिछले 5 दशक के सियासी जीवन में उन्होंने कई उतार-चढ़ाव भरे दौर देखे हैं, लेकिन सामाजिक न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता में कभी कोई नरमी नहीं आई। देश की सियासत में शरद यादव के राजनीतिक कद और योगदान का अंदाजा आज की पीढ़ी को भले ही न हो, लेकिन गैर-कांग्रेसी सरकारों में वो सत्ता की धुरी माने जाते रहे है।

 

साल 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह पर मंडल आयोग की सिफारिशें लागू करने के लिए दबाव बनाने वालों में शरद यादव प्रमुख थे। मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में जुलाई, 1947 में जन्मे शरद यादव ने जबलपुर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर सियासत में अपना कदम रखा और छा गए। वह समाजवादी नेता लोहिया और जेपी के समाजवादी विचारों से प्रभावित थे। वह जेपी के पहले शिष्य थे, जो 1974 में ही लोकसभा सांसद बन गए थे, वह जनता दल की सियासत के चाणक्य कहलाते थे। साल 1990 में तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने मंडल कमीशन को लागू किया था, उसके पीछे भी शरद यादव की बड़ी भूमिका मानी जाती है। वीपी सिंह ने मंडल कमीशन को यूं ही लागू नहीं कर दिया था। दावा है कि शरद यादव ने मौके की नजाकत को समझते हुए प्रेशर पॉलिटिक्स के जरिए लागू कराया था। इसके पीछे की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। मंडल कमीशन को लागू करने के पीछे कुछ लोग वीपी सिंह का जल्दबाजी में लिया गया राजनीतिक फैसला बताते हैं,लेकिन कई अन्य लोग यह बताते है कि  तत्कालीन उप प्रधानमंत्री देवी लाल के इस्तीफे के बाद पार्टी सांसदों का समर्थन बरकरार रखने के लिए वीपी सिंह ने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने का फैसला किया था।

,दिसंबर 1989 में वीपी सिंह के नेतृत्व में जनता दल की सरकार बनी, जिसमें ओबीसी समुदाय के दिग्गज नेता शरद यादव से लेकर दलित नेता रामविलास पासवान तक शामिल थे। लालू प्रसाद यादव से लेकर मुलायम सिंह यादव जनता दल में काफी पावरफुल थे। ऐसे में वीपी सिंह की सरकार बनते ही ओबीसी नेताओं ने मंडल कमीशन पर आगे बढ़ने का दबाव बनाना शुरू कर दिया था। जिसके बाद 25 दिसंबर 1989 को उन्होंने इसके लिए एक ‘एक्शन प्लान’ का ऐलान किया और पूरी प्रक्रिया की निगरानी के लिए देवीलाल की अगुवाई में एक कमेटी का गठन किया। वीपी सिंह की सरकार बने कुछ ही दिन हुए थे कि वीपी सिंह और देवीलाल के बीच सियासी टकराव शुरू हो गए।

इसी दौरान हरियाणा में मेहम कांड और कुछ अन्य बिंदुओं पर देवीलाल से वीपी सिंह की खटपट कुछ इस कदर बढ़ गई थी कि सरकार पर खतरा मंडराने लगा। देवीलाल ने सरकार से किनारा कर लिया और सरकार गिराने की तैयारियां शुरू हो गईं। देवीलाल ने अपना शक्ति-प्रदर्शन करने के लिए एक विशाल रैली रखी, जिसमें वह जनता दल के अपने समर्थक नेताओं को जुटा रहे थे। वीपी सिंह के जीवन पर लिखी गई किताब ‘The DISRUPTOR: How Vishwanath Pratap Singh Shook India’ में शरद यादव को वीपी सिंह ने फोन कर जब देवीलाल को हटाने की जानकारी दी, तो शरद यादव ने कहा कि सुबह मिलकर बात करता हूं। शरद यादव को देवीलाल भी अपने साथ मिलाना चाहते थे और वीपी सिंह भी अपने साथ रोके रखना चाहते थे। मौके की सियासत नजाकत को समझते हुए शरद यादव ने वीपी सिंह के सामने एक शर्त रख दी कि या तो रैली से पहले मंडल कमीशन लागू कीजिए, नहीं तो हम देवीलाल जी के साथ अपनी पुरानी यारी निभाएंगे। इस तरह शारद यादव ने मंडल कमीशन को लागू करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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