सोशल मीडिया के कटेंट्स को लेकर दुनिया में अक्सर विवाद होते रहे हैं। फेसबुक, ट्वीटर आदि के रवैये को लेकर दुनिया के कई देशों से सवाल उठते रहे हैं और इन पर अंकुश रखने की भी मांग की जाती रही है।अभी ताजा उदाहरण के तौर पर सोलोमन आइसलैंड ने फेसबुक पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया हैं सोलोमन मंत्रिमंडल समूह के अनुसार उनके देश मैं सोशल नेटवर्क फेसबुक के लिए नियामवली ढांचा नहीं हैं इसलिए इस पर प्रतिबंध लगाया जा रहा हैं सोलोमन आइसलैंड ऐसा पहला देश नहीं हैं जिसने फेसबुक पर प्रतिबंध लगाया हैं इससे पहले चीन,ईरान और उत्तर कोरिया फेसबुक पर प्रतिबंध लगा चुके हैं भारत में भी सोशल साइट फेसबुक को लेकर विवाद हुआ है। अभी कुछ दिनों पहले अमेरिकी अख़बार ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ की एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि फेसबुक भाजपा के कुछ नेताओं के हेट स्पीच कंटेट पर कार्यवाही नहीं करती हैं इसको लेकर कांग्रेस मुखुर भी हुई उसने फेसबुक को निशाना बनाया है कि वह भारत में सत्ताधारी भाजपा के प्रभाव में आकर भेदभाव की नीति अपना रही है। फेसबुक द्वारा घृणा से भरी सामग्री के खिलाफ ‘कार्रवाई नहीं करने’ से भारत में ‘लोकतंत्र अस्थिर’ हो रहा है। कांग्रेस ने फेसबुक के रवैये से उपजे विवाद की जांच के लिए अपने देश में बाकायदा जेपीसी बनाए जाने की मांग की है। उसकी इस मांग से न सिर्फ वामपंथी. बल्कि संघ विचारक रहे गोविंदाचार्य भी इत्तेफाक रखते हैं।
इस पर फेसबुक के प्रवक्ता ने दलील भी दी है कि उसके प्लैटफॉर्म पर ऐसे भाषणों और सामग्री पर अंकुश लगाया जाता है, जिनसे हिंसा फैलने की आशंका रहती है। इसके साथ ही कंपनी ने कहा कि उसकी ये नीतियां वैश्विक स्तर पर लागू की जाती हैं और इसमें यह नहीं देखा जाता कि यह किस राजनीतिक दल से संबंधित मामला है। फेसबुक ने यह भी कहा है कि वह नफरत फैलाने वाली सभी सामग्रियों पर अंकुश लगाती है। फेस बुक का स्पष्टीकरण अपने हिसाब से जायज हो सकता है, लेकिन इस बात को कैसे नजरंदाज किया जा सकता है कि यह पहला मौका नहीं है जब फेसबुक की नीति और कार्यशैली को लेकर विवाद हुआ हो, बल्कि दुनिया के तमाम मुल्कों में समय-समय पर फेसबुक के खिलाफ कठोर कदम उठाने तक की मांग उठी है। कुछ मुल्कों ने कठोर कदम उठाए भी। वर्ष 2016 में सउदी अरब ने यह कहकर फेसबुक नेटवर्किंग साइट के मैसेंजर सर्विस को ब्लॉक कर दिया था कि वह अपनी टेलीकॉम कंपनियों को नुकसान नहीं होने देगा।
इस साल मई माह में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर नकेल कसने के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर तक किये। अमेरिकी सांसद कमला हैरिस ने पिछले वर्ष 2019 में फेसबुक के रेग्युलेशन की बात उठाई थी। उन्होंने कहा था कि फेसबुक ने अपने कारोबार की वृद्धि को यूजर के हितों, खासकर उनकी निजता के अधिकार के सर्वोपरि रखा है। इस सेवा का हर क्षेत्र में उपयोग हो रहा हो, लेकिन इसेनियमो के दायरे में लाना होगा। इसके अनियमित रूप से चलने पर रोक लगनी चाहिए। उन्होंने इसे बांटने की सलाह दी थी।
फेसबुक के नियमन को लेकर दुनियाभर से समय-समय पर राय आती रही हैं और फेसबुक इन पर अमल करने की कोशिश भी करेगा, लेकिन फिलहाल भारत में फेसबुक को लेकर सियासी संग्राम चल रहा है। कांग्रेस कह रही है कि पक्षपात, झूठी ख़बरों और नफ़रत-भरी बातों से लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ नहीं करने देंगे।भारत में सोशल साइट्स का विवाद अभी थमने वाला नहीं है। जानकारों के मुताबिक दुनिया के तमाम मुल्कों में सोशल साइट्स को लेकर विवाद घटने के बजाए आगे और बढ़ने की आशंकाएं हैं।