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…तो क्या ‘यस बैंक’ बनेगा ‘नो बैंक’?

...तो क्या 'यस बैंक' बनेगा 'नो बैंक'?

पिछले महीने की 24 तारीख की ही बात है जब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के प्रमुख रजनीश कुमार ने कहा था कि यस बैंक को डूबने नहीं दिया जाएगा। यस बैंक को उबरने के लिए कोई न कोई रास्ता निकलेगा। तब एसबीआई के प्रमुख रजनीश कुमार के बयान से लोग संतुष्ट नजर आए और यस बैंक में खाता धारकों को उम्मीद जगी कि निजी क्षेत्र के बैंक को बचाने में सरकारी बैंक एसबीआई महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

लेकिन खाताधारकों का यह विश्वास ज्यादा दिन नहीं टिक सका। बीती रात यस बैंक के खाताधारकों को को नींद नहीं आई जब उन्हें पता चला कि एआरबीआई ने यस बैंक खाताधारकों की निकासी एक महीने में सिर्फ 50,000 निश्चित कर दी है। तब उन्हें अपने मेहनत की कमाई डूबती हुई नजर आई। यही नहीं बल्कि यस बैंक के खाता धारक रात को ही एटीएम में लंबी-लंबी लाइन लगाकर अपने पैसे निकालने की कोशिश में लगे रहे।

यस बैंक से तयशुदा रकम निकालने की घोषणा की सूचना मिलते ही यस बैंक का शेयर भी औंधे मुंह गिर पड़ा। पिछले कारोबारी दिन 36.80 के स्तर पर बंद होने के बाद आज यस बैंक का शेयर 33. 15 के स्तर पर खुला। इसके बाद सुबह 10 बजे यह 11 अंक यानी 29 प्रतिशत की गिरावट के बाद 25.80 के स्तर पर कारोबार कर रहा था।

वित्तीय संकट से जूझ रहे यस बैंक पर एसबीआई ने जब पैसा निकालने की सीमा निर्धारित की तो खाताधारकों में हड़कंप मच गया। खाताधारक देर रात से ही बैंकों के सामने लंबी-लंबी लाइन लगाए खड़े हो गए हैं। गौरतलब है कि यह बैंक खाताधारकों को 50,000 रुपये से ज्यादा नहीं निकालने के आदेश दे दिए गए हैं। यह आदेश 3 अप्रैल 2020 तक लागू रहेंगे ।

...तो क्या 'यस बैंक' बनेगा 'नो बैंक'?

बताया जा रहा है कि यस बैंक लगातार एनपीए की समस्या से जूझ रहा है। जिसके चलते आरबीआई को यह फैसला लेना पड़ा। उधर सरकार ने एसबीआई और अन्य वित्तीय संस्थानों को वित्तीय संकट से जूझ रहे यस बैंक को खरीदने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए मंजूरी दे दी है। सूत्रों की मानें तो इस संबंध में जल्द ही कोई घोषणा की जा सकती है। बताया जा रहा है कि एसबीआई कि इस संबंध में कल मुंबई में बैठक भी हुई थी। लेकिन बैठक में क्या एजेंडा पास किया गया यह अभी पता नहीं चलता सका है।

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