उत्तर प्रदेश में चुनाव नतीजे आए अभी 2 महीने भी नहीं हुए हैं कि समाजवादी पार्टी की मुश्किलें लगातार बढ़ती दिखाई दे रही हैं। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव ने बगावती तेवर दिखाए हैं तो दूसरी तरफ जेल में बंद पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान के समर्थक लगातार पार्टी छोड़ रहे हैं। इसी के साथ सुनने में आ रहा है कि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष और योगी की पहली सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे ओमप्रकाश राजभर का अखिलेश यादव से मन भर गया है। वह सपा गठबंधन से किनारा करने की तैयारी कर रहे है। सियासी गलियारों में यह चर्चा आम है कि राजभर कभी भी एनडीए का हिस्सा हो सकते है।
ओमप्रकाश राजभर की एक दिन पहले ही उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह और केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर के साथ बंद कमरे में मुलाकात हुई है। इससे सियासी गलियारों में चर्चाओं का माहौल गर्म है। ऐसे में अगर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के मुखिया ओमप्रकाश राजभर भी अखिलेश से दूर जाने की कोशिश करते हैं तो यह सपा के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।
बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश में चुनाव नतीजे आने के कुछ दिन बाद ही ओमप्रकाश राजभर की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के बड़े नेताओं के साथ मीटिंग होने की खबर सामने आई थी। तब से ही राजनीतिक पंडित उनके भाजपा गठबंधन के साथ शामिल होने के कयास लगा रहे है। राजभर वैसे भी चुनावों में पांचवें मतदान के बाद समाजवादी गठबंधन से दूरी बनाते प्रतीत हुए थे। हो सकता है कि उन्हें समाजवादी की सत्ता से होती दूरी का अंदेशा परिणाम आने से पहले ही हो गया था।
गौरतलब है कि ओमप्रकाश राजभर ने 2017 में उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ा था। तब वह 2 साल तक योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे थे। लेकिन पिछड़ों के आरक्षण के बंटवारे सहित कुछ अन्य मुद्दों को लेकर वह सरकार से बाहर निकल गए थे। तब से राजभर भाजपा के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे थे।
इस विधानसभा चुनाव में सपा गठबंधन में सुभासपा को 18 सीटें मिली थी। जिसमें 6 सीटों पर उन्हें जीत हासिल हुई थी। इस चुनाव में पूर्वांचल के इलाकों में ओमप्रकाश राजभर की वजह से भाजपा को सियासी नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसे में भाजपा चाहती है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ही राजभर उनके पाले में आ जाए। चर्चा यह भी है कि राजभर को साथ लाने की रणनीति में उन्हें योगी सरकार – 2. 0 में कैबिनेट मंत्री भी बनाया जा सकता है।