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सिर मुड़ाते ओले पड़े

केंद्र सरकार ने भारतीय सैन्य बलों में भर्ती प्रक्रिया को आमूलचूल बदलते हुए एक नई योजना ‘अग्निपथ’ का ऐलान किया है। सरकार की मानें तो यह रोजगार बढ़ाने की दिशा में उठाया गया बड़ा कदम है लेकिन जिस प्रकार इस योजना का विरोट्टा देशभर में होने लगा है उससे केंद्र सरकार के दावों पर प्रश्न चिन्ह लगता स्पष्ट नजर आ रहा है

भारतीय सेना में भर्ती को लेकर अब तक का सबसे बड़ा बदलाव किया गया है। केंद्र सरकार ने अब ‘अग्निपथ स्कीम’ के तहत आर्मी, नेवी और एयरफोर्स में युवाओं के लिए नए अवसर खोलने का दावा किया है। अग्निपथ योजना के जरिए ‘अग्निवीरों’ की भर्ती होगी। होंगे ये भी सैनिक लेकिन मौजूदा रैंक से इनका रैंक बहुत अलग होगा और इन्हें अग्निवीर कहा जाएगा। योजना के अनुसार, ये अग्निवीर आर्मी, नेवी या एयरफोर्स में चार साल के लिए ही कार्यरत रहेंगे। अधिकतम 25 पर्सेंट अग्निवीरों को ही बाद में परमानेंट होने का अवसर दिया जाएगा। आर्मी में भर्ती के लिए पहली रिक्रूटमेंट रैली 90 दिनों में हो जाएगी। पहले चरण में आर्मी के लिए 40 हजार, नेवी के लिए 3 हजार और एयरफोर्स के लिए 3 हजार 500 अग्निवीरों की भर्ती की जाएगी। केंद्र सरकार इसे रोजगार की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि मान प्रचारित कर रही है लेकिन इस योजना का देशभर में हो रहा विरोध सरकार की नीयत पर सवाल खड़े करता नजर आने लगा है।

सरकार का तर्क
केंद्र सरकार ने अपने द्वारा लाई गई इस अग्निपथ स्कीम को गेम चेंजर बताया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और तीनों सेनाओं के चीफ की ओर से कहा गया है कि इससे सेना भविष्य की चुनौतियों से बेहतर ढंग से निपट पाएगी। मौजूदा समय में आर्मी में अभी सैनिकों की औसत उम्र 32 साल रखी गई है। लेकिन अग्नि वीरों के आने के बाद 6-7 साल में औसत उम्र 26 साल हो जाएगी और भारत की आर्मी ज्यादा मजबूत और फिट होगी। आज के आधुनिक युग में तकनीक हर दिन बदल रही है और युवा इसे जल्दी सीख पाएंगे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने योजना पर बोलते हुए कहा कि विश्व की बेहतरीन सेना बनाने के लिए भारतीय सेना के लिए ‘अग्निपथ’ नाम की ऐतिहासिक योजना पेश की गई है। उन्होंने कहा कि युवा नई टेक्नॉलोजी को जल्दी सीखेंगे और उनका फिटनेस का स्तर भी अच्छा होगा। इससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे। भारतीय अर्थव्यवस्था को भी हायर स्किल्ड वर्कफोर्स उपलब्ध हो सकेगी।

योजना का विरोध शुरू
बेशक स्कीम को सराहनीय बताया जा रहा है लेकिन इसके विरोध में भी कई सुर हैं। अग्निपथ को लेकर तमाम दिग्गज सरकार पर सवाल दाग रहे हैं। जब अग्निवीर चार साल की सेवा पूरी करने के बाद बाहर हो जाएगा, तो उसे पेंशन या ग्रेच्युटी जैसा कुछ हासिल नहीं होगा। उन्हें सेवा के दौरान कौशल प्रशिक्षण अवश्य दिया जाएगा। चार साल बाद सभी अग्निवीर सेवा से बाहर हो जाएंगे। फिर इनमें से अधिकतम 25 फीसदी को सेना में नियमित कैडर के रूप में यानी स्थायी रूप में शामिल होने का मौका दिया जाएगा। यह कितना प्रतिशत होगा यह सेना की आवश्यकता पर निर्भर करेगा। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर युवा ‘अग्निवीर’ क्यों बनेगा? इसके जवाब में वायुसेना प्रमुख का कहना है कि आज भी 12वीं के बाद युवा या तो स्किल ट्रेनिंग लेते हैं या उच्च शिक्षा लेते हैं और नौकरी ढूंढते हैं। हम तीनों मौके एक साथ युवाओं को दे रहे हैं।

उन्हें चार साल में अच्छा वेतन, अच्छा बैंक बैलेंस मिलेगा। साथ ही उन्हें स्किल ट्रेनिंग भी दी जाएगी। उन्हें राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत दिए जाने वाले औपचारिक प्रशिक्षण के लिए क्रेडिट प्वॉइंट मिलेंगे। इससे वे चार साल बाद उच्च शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं। वह और अधिक आत्मविश्वास के साथ दूसरी नौकरी तलाश करेंगे। मेजर जनरल (रिटायर्ड) यश मोर का कहना है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश सेना में रिक्रूटमेंट को पैसा बचाने के हिसाब से देख रहा है। वे कौन से 25 परसेंट युवा होंगे जिन्हें परमानेंट कर दिया जाएगा, उन्हें किस आधार पर जज किया जाएगा क्योंकि उनकी स्किल को चार साल में माप पाना काफी मुश्किल है। इतने कम वक्त में तो उन्हें स्पेशलाइज्ड ट्रेनिंग भी नहीं दी जा सकती। बहुत से युवा चार साल बाद सड़कों पर असंतुष्ट होकर घूमेंगे। इसका सीमा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या इन युवाओं को सीक्रेट ड्यूटी दी जा सकेगी? क्या कोई कॉन्फिडेंशियल टास्क दिया जा सकेगा? और इसका क्या भरोसा है कि चार साल बाद जब वह बाहर जाएगा तो अपने साथ कोई डाटा नहीं ले जाएगा ? उनकी लॉयल्टी की कौन जिम्मेदारी लेगा? सुरक्षा और सेना के उत्साह के हिसाब से यह ठीक नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि ये युवा आर्मी की आर्मर्ड, मैकेनाइज्ड इंफैंट्री, सिग्नल, एयर डिफेंस की स्पेशलाइज्ड यूनिट में क्या करेंगे क्योंकि किसी भी तरह के स्पेशलाइजेशन में 7-8 साल का समय लगता है। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा सवाल यह है कि जो युवा दो साल से मेडिकल फिजिकल टेस्ट पास करके भर्ती होने की प्रतीक्षा कर रहे थे, वे क्या करेंगे? मेजर जनरल (रिटायर्ड) बीरेंद्र धनोवा ने भी इस मामले पर एक ट्वीट में लिखा है कि नई स्कीम में सर्विस को कम से कम सात साल का करना चाहिए और लगभग 50 परसेंट को परमानेंट किया जाना चाहिए।

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