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‘सिया’ फिल्म ने जीता दिल

 

बॉलीवुड में बड़े सितारों की फिल्मों के साथ-साथ कुछ ऐसी फिल्में भी रिलीज की जाती हैं जिनमे बड़े फ़िल्मी सितारे तो नहीं बल्कि नए चेहरे दिखाई पड़ते हैं। लेकिन ये फिल्में समाज के मुद्दों को काफी गहराई से उठाती हैं। इनमे एंटरटेनमेंट की कमी होती है लेकिन इस तरह की फिल्में आपको जीवन का आइना दिखाती हैं। ऐसी ही एक फिल्म ‘सिया’ 23 सितम्बर 2022 को रिलीज की गई है जिसमे एक गरीब घर की लड़की के जीवन में आने वाली कठिनाइयों को दिखाया गया है। इस फिल्म में पूजा पांडेय (सिया) के किरदार में हैं, सिया एक गरीब परिवार की लड़की है, जो परिवार की सारी जिम्मेदारियां उठाती है। जंगल से लकड़ी लाने से लेकर छोटे भाई को पढ़ाने और कहानी सुनाने तक, सिया एक आदर्श बेटी की भूमिका निभाती है। सिया के पीछे गांव के विधायक से लेकर कुछ और नेता गिरी वाले लोग भी लगे हैं, जो उसका फायदा उठाना चाहते हैं। ऐसे में गांव के ही कुछ लोग सिया को अगवा करते हैं और कई दिनों तक उसके साथ रेप करते हैं, उसे भूखा- प्यासा रखते हैं और बेहद मारपीट भी करते हैं। सिया के फैमिली फ्रेंड महेंद्र (विनीत कुमार सिंह) हैं, यह इस फिल्म में वकील का किरदार निभा रहे हैं। सिया के साथ हुई इस वीभत्स घटना के लिए इंसाफ चाहती है और महेंद्र उसका साथ देता है।

 

एक्टिंग और निर्देशन

विनीत कुमार सिंह एक बेहतरीन अभिनेता हैं और सिया ने भी इस फिल्म में अच्छी अदाकारी की है। हाव- भाव के साथ ही बॉडी लैंग्वेज को उन्होंने किरदार के हिसाब से बखूबी पकड़ा है। वहीं भाषा में देसीपन उनके इस किरदार को और भी मजबूत बनाता है। बात विनीत के अलावा पूजा पांडे की करें तो उन्होंने दिल जीतने वाला काम किया है। पूजा ने जिस सादगी से इस कैरेक्टर को निभाया है, वो वाकई काबिल- ए- तारीफ है। दुख- गुस्सा और छोटी छोटी खुशियां, पूजा के सिर्फ चेहरे ही नहीं बल्कि बॉडी एक्शन से ही दिखती हैं। पूजा और विनीत के अलावा बाकी किरदारों का भी काम ठीक रहा है। बात सिया के निर्देशक मनीष मुंद्रा की करें तो इससे पहले बतौर उन्होंने कामयाब, आधार, कड़वी हवा, मसान और न्यूटन जैसी फिल्मों को प्रोड्यूस किया है, जो हिंदी सिनेमा का अहम हिस्सा हैं। बतौर निर्देशक मनीष ने काफी अच्छा काम किया है और सिया फिल्म के बाद उनसे उमीदें काफी बढ़ी हैं।

इस फिल्म में क्या है खास

फिल्म में लोकेशन से लेकर बेहद संजीदा और कसे हुए डायलॉग्स इस फिल्म को कुछ खास बनाते हैं , एक बात जो काफी इम्प्रेस करती है वो है फिल्म का कैमरा वर्क और सिनेमैटोग्राफी। फिल्म में ऐसे कई बेहतरीन कैमरा शॉट्स हैं, जो अपने आप में काफी कुछ बयां करते हैं। जैसे मकड़ी के जाले से सिया को दिखाना, रेप से जुड़ी बातचीत के दौरान तुलसी पर चुनरी को दिखाना, या बस में लड़के घूरने पर सिया का धीरे- धीरे सीट की आड़ में छिपकर जाना। इसके साथ ही फिल्म में कलर्स का भी अच्छा इस्तेमाल किया गया है, जो सीन की गहराई को दिखाने का काम करता है। फिल्म में ऐसे कई सीन्स दिखाई गए हैं, जो कहीं न कहीं समाज का आईना के तौर पर आपको पेश किए जाते हैं, चाहें वो पैसे की ताकत दिखाना हो या फिर जातिगत भेदभाव। एक ओर जहां फिल्म का तकनीकी पक्ष मजबूत दिखता है तो दूसरी ओर कहानी में थोड़ी सी गुंजाइश रह जाती है और फिल्म देखते हुए कई सवाल आपके मस्तिष्क में में उठने लगते हैं, यह फिल्म पल भर में आपको सिया की कहानी से जोड़ लेती है। जिस कारण आप इस फिल्म को अच्छे से समझ पाते हैं।

सिया एक ऐसी फिल्म है, जिसका बॉलीवुड को बीते लंबे वक्त से इंतजार था। फिल्म में कोई बहुत बड़ा सितारा नहीं है, इसलिए फिल्म का बहुत तगड़ा प्रमोशन भी नहीं हुआ है और ये भी हो सकता है कि कई लोगों को इस फिल्म के बारे में पता भी न लगा हो। लेकिन ये ऐसी फिल्म है, जिसे आप पूरे परिवार के साथ देख सकते हैं। सिया कोई आम बॉलीवुड मसाला फिल्म नहीं है, जिसे देखकर आप सीटी मारेंगे या फिर जोर जोर से ताली, लेकिन कई मुद्दों पर सोचने के लिए जरूर मजबूर हो जाएंगे।

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