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सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली मनीष सिसोदिया को राहत; कहा- हाईकोर्ट जाएं

दिल्ली शराब घोटाले में डिप्टी सीएम और आम आदमी पार्टी के दिग्गज नेता मनीष सिसोदिया को लेकर कानूनी पेंच और उलझ गया है। कल उनकी गिरफ्तारी के बाद सीबीआई ने उन्हें दिल्ली की राउज एवेन्यू अदालत में वर्चुअली पेश किया और न्यायाधीश नागपाल के समक्ष उनकी रिमांड मांगी थी। सीबीआई द्वारा आरोपी डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने अपनी रिमांड को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसकी सुनवाई चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने की। खंडपीठ ने सिसोदिया से कहा कि आप जमानत के लिए उच्च न्यायालय का रुख करें। सिसोदिया के पास कई कानूनी विकल्प मौजूद हैं।

सीधे सुप्रीम कोर्ट न जाएं, हाईकोर्ट जाएं

मुख्य न्यायाधीश ने मनीष सिसोदिया के वकील से कहा कि आप सीधे सुप्रीम कोर्ट से जमानत और अन्य राहत मांग रहे हैं। आपने अर्नब गोस्वामी और विनोद दुआ के मामलों का हवाला दिया है। लेकिन यह बिल्कुल अलग था। आपको निचली अदालत से जमानत मिलनी चाहिए, एफआईआर को रद्द कराने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएं। सिसोदिया की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने कहा, “मुझे केवल तीन मिनट बोलने दें। मुझे (सिसोदिया) केवल दो बार पूछताछ के लिए बुलाया गया। अर्नेश कुमार मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का गिरफ्तारी से पहले पालन नहीं किया गया। मुझ पर सबूत न छेड़खानी का आरोप लगाया, न ही मुझे भागने का डर था।
सुप्रीम कोर्ट सीधे सुनवाई नहीं कर सकता
CJI ने कहा कि ये बातें सच हो सकती हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट सीधे तौर पर इनकी सुनवाई नहीं कर सकता। कोर्ट ने कहा कि मनीष सिसोदिया को जमानत के लिए प्राथमिकी रद्द करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिए।

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