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34 साल पहले रोडरेज मामले में सिद्दू को मिली दो हफ्ते की मोहलत

जाने-माने क्रिकेट खिलाड़ी और पंजाब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू पर आज सबकी नजर है। कारण यह है कि 34 साल पहले रोडरेज के एक मामले में आज उन पर सुप्रीम कोर्ट में फैसला होना है। आज इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता नवजोद सिंह सिद्दू के वकील से नोटिस की दायरा बढ़ाने की मांग वाली अर्जी पर जवाब दाखिल करने को कहा साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दो सप्ताह बाद फिर सुनवाई के आदेश दिए हैं। 34 साल पहले 1988 में हुए एक झगड़े में बुजुर्ग की मौत हो गई थी। जिसमें वह आरोपी है । इस मामले में आरोपी होने के चलते सिद्धू ने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया था। नवजोत सिंह सिद्धू के साथ ही उनके एक मित्र रूपिंदर सिंह भी इस मामले में आरोपी है।
 पूर्व में सिद्धू को निचली अदालत से इस मामले में बरी किया जा चुका है। लेकिन हाईकोर्ट में उन्हें 3 साल की सजा और ₹100000 का जुर्माना का फैसला किया था। जबकि बाद में सिद्धू सुप्रीम कोर्ट की शरण में गए तो उन पर जेल की सजा तो नहीं हुई अलबत्ता कोर्ट ने उन पर ₹1000 का जुर्माना लगाकर छोड़ दिया था।
 इसके बाद पीड़ित पक्ष में पुनर्विचार याचिका  दाखिल की। जिसमें 3 फरवरी को मामले की सुनवाई हुई थी। लेकिन चुनाव की वजह से सुप्रीम कोर्ट ने 25 फरवरी तक सिद्धू को छूट दे दी थी। जानकारी के अनुसार 65 साल के गुरनाम सिंह के साथ नवजोत सिंह सिद्धू और उनके मित्र रूपेंद्र सिंह का रोडरेज के एक मामले में झगड़ा हुआ था। जिसमें वृद्ध की मौत हो गई थी। इस पर सिद्धू और उनके मित्र पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया। सबसे पहले मामला निचली अदालत में पहुंचा। जहां सबूतों का अभाव बताते हुए 1999 में सिद्धू को इस मामले से बरी कर दिया गया।  इसके बाद पीड़ित पक्ष निचली अदालत के फैसले के विरुद्ध हाई कोर्ट चला गया । वर्ष 2006 में हाईकोर्ट में सिद्धू को इस मामले में 3 साल की सजा और ₹100000 का जुर्माना का फैसला सुनाया। इसके बाद नवजोत सिंह सिद्धू सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।
 सुप्रीम कोर्ट में यह मामला चला और 16 मई 2018 को उन्हें गैर इरादतन हत्या के इस आरोप से बरी कर दिया गया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने धारा 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाने का) मामले में सिद्धू को दोषी ठहराया। जिसके लिए उन्हें जेल की सजा तो नहीं हुई लेकिन ₹1000 जुर्माना जरूर हुआ।  इसके बाद पीड़ित पक्ष द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई। पीड़ित पक्ष का कहना था कि हाईकोर्ट की तरह ही नवजोत सिंह सिद्धू को सजा होनी चाहिए। याचिका कर्ता ने कहा था कि जिस घटना में किसी की मौत हुई हो उसमें सिर्फ मारपीट की धारा लगाना गलत है। सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका को स्वीकार कर लिया।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में यह मामला 3 फरवरी 2021 से शुरू हुआ।लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू के चुनाव लड़ने की वजह से सुप्रीम कोर्ट ने इसे 25 फरवरी तक के लिए टाल दिया था। आज सुप्रीम कोर्ट द्वारा फैसला सुनाए जाने से पहले नवजोत सिंह सिद्धू ने कोर्ट से एक अपील की है। जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई कि उन्हें रोडरेज मामले में सजा न दी जाए।
 सिद्धू ने कहा कि पिछले 3 दशक में उनका राजनीतिक और खेल करियर बेदाग रहा है। राजनेता के तौर पर उन्होंने न सिर्फ अपने विस क्षेत्र अमृतसर ईस्ट बल्कि सांसद के तौर पर बेजोड़ काम किया है। उन्होंने लोगों के भले के लिए कई काम किए हैं। उनसे कोई हथियार भी बरामद नहीं हुआ और उनकी मरने वाले से कोई दुश्मनी भी नहीं थी। उन्होंने कहा कि पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी जाए। उन्हें दी गई 1 हजार जुर्माने की सजा पर्याप्त है।

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