एक रिपोर्ट ने कश्मीर की शांति व्यवस्था के सरकारी दावों पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। कल यानी 30 अगस्त को इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद भाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली ने आरोपों का खंडन किया है। थल सेना के प्रवक्ता ने भी इस रिपोर्ट को भ्रामक बताया है। बीबीसी की एक टीम ने कश्मीर के कुछ इलाकों का दौरा किया। गांव वालों ने इस टीम को बताया कि सेना ने उन्हें अनुच्छेद 370 के हटने के बाद डंडों और केबल से न केवल पीटा, बल्कि बिजली के झटके भी दिए। गांव वालों ने पत्रकारों को अपने घाव भी दिखाए।

गौरतलब है कि पांच अगस्त के दिन अनुच्छेद 370 हटने के बाद से ही घाटी में हालात तनावपूर्ण हैं और संचार माध्यम से सरकारी आदेश चलते ठप्प कर दिए गए हैं। ऐसे में वहां की जमीनी स्थिति की बाबत प्रमाणिक समाचार नहीं मिल पा रहे हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक घाटी क्षेत्र में हजारों की संख्या में गिरफ्तारी भी की गई है। बीबीसी की यह रिपोर्ट बेहद गंभीर हालातों की तरफ इशारा करती है। पत्रकार समीर हाशमी का कहना है कि स्थानीय डाॅक्टर सुरक्षा बलों द्वारा कथित तौर पर उत्पीड़ित लोगों का इलाज तो कर रहे हैं लेकिन मीडिया के सामने बात करने के लिए तैयार नहीं हैं। इस रिपोर्ट के साथ जारी तस्वीरें हृदय विदारक हैं। इन तस्वीरों में गांव वालों के शरीर में जख्म और न चोटों के निशान सरकार के इस दावे की पोल खोलने के लिए काफी हैं कि कश्मीर में शांति है। सेना और भाजपा ने इन आरोपों का खंडन करते हुए इन्हें विरोधी तत्वों की साजिश बताया है।
‘हमने उन्हें बताया कि हम निर्दोष हैं। हमने पूछा कि वो ऐसा क्यों कर रहे हैं? लेकिन उन्होंने हमारी एक न सुनी। मैंने उनसे कहा कि हमें पीटो मत, हमें गोली मार दो। मैं खुदा से मना रहा था कि वो हमें अपने पास बुला ले, क्योंकि प्रताड़ना असहनीय थी।’
बीबीसी को दिया गया गांववालों का बयान

धारा 370 और 35ए हटने के बाद घाटी के लोगों का विरोध-प्रदर्शन
‘जब मैंने अपने कपड़े उतार दिए तो उन्होंने बेदर्दी से मुझे रॉड और डंडों से करीब दो घंटे तक पीटा। जब मैं बेहोश हो जाता तो वो मुझे होश में लाने के लिए बिजली के झटके देते। अगर उन्होंने मेरे साथ फिर ऐसा किया तो मैं कुछ भी कर गुजरूंगा, मैं बंदूक उठा लूंगा। मैं हर रोज ये बर्दाश्त नहीं कर सकता।’
बीबीसी को दिया गया गांववालों का बयान