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मास्क को लेकर सामने आया चौंकाने वाला खुलासा

मास्क

देश में कोरोना संकट अभी टला नहीं है तो वहीं दिवाली को लेकर लोग तैयारियों में जुटे हैं। त्यौहारी महीना होने के कारण बाजार सजे हुए हैं। बाजारों में जमकर भीड़ नजर आने लगी है। रेल और बसें खचाखच भरी हैं। इस बीच चर्चा हो रही है कि कोविड नियमों का पालन हो रहा है या नहीं ? हाल ही में ​लोकल सर्कल द्वारा किए गए एक अध्ययन में कोविड महामारी को लेकर चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं। कोरोना संकट में मास्क वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए एक अहम हथियार माना जा रहा है।हालांकि अध्ययन के अनुसार, सिर्फ दो फीसदी भारतीयों को लगता है कि मास्क लगाना कोरोना से बचाव का कारगर तरीका है, जबकि सिर्फ तीन फीसदी को लगता है कि उनके इलाके और जिलों में लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं। स्टडी में कहा गया है कि 96 फीसदी लोगों ने कहा कि लोग ट्रिप के दौरान सोशल डिस्टेंस का पालन नहीं कर रहे हैं। 16 फीसदी का मानना है कि लोग यात्रा के दौरान मास्क का इस्तेमाल कर रहे हैं।

ये ​​अध्ययन देश के 366 जिलों के 20 हजार से अधिक लोगों से मिलीं 39 हजार प्रतिक्रियाओं के आधार पर किया गया है। ​​​स्टडी​ में शामिल ​​47 प्रतिशत लोग टियर-1, 30 प्रतिशत लोग टियर-2 और 23 प्रतिशत लोग टियर-3 व 4 जिलों के हैं। 65 प्रतिशत पुरुष​ हैं और ​35 प्रतिशत महिलाएं हैं।

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देश में कोरोना के बढ़ते प्रसार के मद्देनजर राज्यों द्वारा अभी कोविड प्रोटोकाल को जारी रखने का निर्णय लिया गया है। केंद्र सरकार द्वारा कोरोना रोकथाम उपायों को 30 नवंबर तक बढ़ा दिया गया है। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला की ओर से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए मौजूदा प्रोटोकाल 30 नवंबर तक जारी रखे जाएंगे।​

Young Woman wearing double face mask before going out

इससे पहले भी मास्क को लेकर लोगों में असमंजस था कि कौन-सा मास्क प्रभावी है या मास्क को कितने दिन तक इस्तेमाल करना है? क्या इसे धोकर दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है? बहुत दिनों तक इस्तेमाल करने से क्या कोरोना संक्रमण का खतरा होता है? इन सभी प्रश्नों का जवाब दिया गया था अमेरिका में कोलोराडो विश्वविद्यालय के शोध ने। शोधकर्ताओं का दावा है कि अगर नियमित रूप से धोया जाए तो कपड़े का मास्क एक साल तक प्रभावी हो सकता है।

शोधकर्ताओं द्वारा बताया गया कि कपड़े के मास्क को लगातार धोने से उसकी संक्रामक धूल को छानने की क्षमता कम नहीं होती है। शोध पत्र ‘एरोसोल एंड एयर क्वालिटी रिसर्च’ में प्रकाशित रिपोर्ट में यह बात कही गई है। यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर और शोध प्रमुख मरीना वेंस ने कहा कि सर्जिकल मास्क पर कपड़े के मास्क का इस्तेमाल अकेले कॉटन मास्क की तुलना में अधिक सुरक्षा प्रदान करता है। यदि आप वर्तमान में कपड़े के मास्क का उपयोग कर रहे हैं तो इसे अभी उपयोग करना उचित है। वेंस कहते हैं, उन्हें इसे तुरंत फेंकने की जरूरत नहीं है।

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