महाराष्ट्र की राजनीति में दमदार पैठ रखने वाली शिवसेना का दो फाड़ हो चुका है। एक धड़ा भाजपा संग मिलकर राज्य में सरकार चला रही है तो दूसरा विपक्ष के साथ खड़ा है। यह धड़ा उद्धव ठाकरे का है जो ‘महाविकास अघाड़ी’ वाले विपक्षी गठबंधन के साथ मजबूती से खड़ा तो है लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी के सावरकर को लेकर दिए गए बयान चलते खासी असहजता का सामना कर रहा है। राहुल ने बीते दिनों मानहानि के मुकदमे में मिली दो बरस की सजा बाद कह डाला था कि वे सावरकर नहीं, गांधी हैं और गांधी क्षमा नहीं मांगा करते। उनके इस बयान से उद्धव ठाकरे ने बौखला कर गठबंधन तोड़ने तक की बात कह डाली थी। शिवसेना मूल रूप से कट्टर हिंदुत्व की अवधारणा वाला दल है जिसका वोट बैंक भारत को हिंदू राष्ट्र के रूप में देखता आया है। सावरकर को कट्टर देशभक्त और वीर मानते आए दल को यह कतई स्वीकार्य नहीं कि कोई उनके नायक का अपमान करे। यही कारण है कि सार्वजनिक तौर पर उद्धव को राहुल के बयान की निंदा करनी पड़ी थी। खास खबर लेकिन यह है कि सार्वजनिक बयानबाजियों से इतर भीतरखाने इस मामले में डैमेज कंट्रोल की कवायद लगभग सफल हो चुकी है।

शिवसेना (ठाकरे) की तरफ से उसके वरिष्ठ नेता संजय राउत को राष्ट्रवादी कांग्रेस प्रमुख शरद पवार ने कांग्रेस नेतृत्व संग वार्ता कर भविष्य में सावरकर अथवा ऐसे किसी हिंदूवादी नेता के खिलाफ राहुल को टिप्पणी न करने के लिए तैयार कर लिया है जिसके चलते महाराष्ट्र में शिवसेना (ठाकरे) के लिए दिक्कत पैदा होती है। खबर गर्म है कि पवार की मध्यस्तता बाद संजय राउत ने सोनिया गांधी और राहुल से बात कर हाल-फिलहाल के लिए मामला शांत कर दिया है। राजनीतिक पंडितों की मानें तो उद्धव ठाकरे भले ही सार्वजनिक बयानबाजी कर महाविकास अघाड़ी गठबंधन को तोड़ने की बात क्यों न करें, वर्तमान में उनके समक्ष इस गठबंधन में बने रहने के सिवाय कोई दूसरा विकल्प मौजूद नहीं है। हालांकि वे बाबा साहब अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर को साध एक तीसरा मोर्चा बनाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन प्रकाश अंबेडकर का राजनीतिक वजूद शून्य होने चलते ऐसा मोर्चा ठाकरे के लिए मुफीद साबित नहीं होने वाला। यही कारण है कि मुंबई नगर पालिका चुनाव महाविकास अघाड़ी संग मिलकर लड़ने के सिवाय ठाकरे के पास और कोई चारा है ही नहीं। देखना दिलचस्प होगा कि खांटी बयानों के चलते अपनी अलग छवि बना चुके राहुल अब सावरकर पर बोलने से बचते हैं या फिर गठबंधन टूटता है।