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क्या महाराष्ट्र में शिवसेना – भाजपा सरकार की बन रही संभावना 

महाराष्ट्र की राजनीति पर इस समय पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं। राजनीतिक पंडित और मीडिया जगत के लोग महसूस कर रहे हैं कि राज्य में नए सियासी समीकरण बन रहे हैं। संभव है कि बहुत जल्दी ही सियासी दुश्मनी को भूलकर दो पुराने साथी एक बार फिर दोस्ती का हाथ बढ़ाएंगे और भाजपा – शिवसेना की सरकार फिर से बनेगी।

दरअसल ,  महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हाल में हुई मुलाकात के बाद सूबे की सियासत में आया उबाल और तेज हो गया है । इस मुलाक़ात के बाद ठाकरे ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि भले ही हम देश की सत्ता में साथ नहीं हैं , लेकिन हमारे संबंध अभी भी बरकरार हैं।  इस मुलाकात के बाद अब महाराष्ट्र में सियासी अटकलें तेज हो गई हैं। लोग सत्ता परिवर्तन की चर्चा करने लगे हैं। इस कयासबाजी को हवा देने का काम सबसे पहले केंद्रीय मंत्री रामदास  अठावले ने किया था। उन्होंने तब एक बयान में कहा था कि भाजपा और शिवसेना के गठबंधन में मुख्यमंत्री पद को आधे-आधे कार्यकाल के लिए  बांटा जा सकता है। इस बीच अब महाराष्ट्र की सियासत में नई खिचड़ी पक रही है। पुराने साथियों के एक साथ आने की सुगबुगाहट है। ऐसे में  राज्य की राजनीति में एक बार फिर शिवसेना और भाजपा के साथचर्चाएं तेज हैं।  इस बार भाजपा की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फण्डवीस ने एक बड़ा बयान जारी किया है। उन्होंने कहा है कि उनकी पार्टी और पूर्व सहयोगी शिवसेना दुश्मन नहीं हैं, हालांकि उनके बीच कुछ मुद्दों पर मतभेद हैं और राजनीति में कोई किंतु-परंतु नहीं होता।

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उनके इस बयान के बाद बीजेपी से अलग होकर कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाने वाली शिवसेना का झुकाव फिर से अपने पुराने सहयोगी भाजपा  की तरफ होता दिख रहा है। इस बात के संकेत दोनों ओर से ही मिलने  लगे हैं।

 फडणवीस ने कहा कि स्थिति के आधार पर ही सही फैसला किया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ उनकी हालिया बैठक और शिवसेना के साथ फिर से आने की संभावना के बारे में  फडणवीस ने कहा, ‘राजनीति में कोई किंतु-परंतु नहीं होता है और हालात के मुताबिक फैसले लिए जाते हैं।

‘शिवसेना ने विरोधियों से मिलाया हाथ’

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा और शिवसेना दुश्मन नहीं हैं, हालांकि मतभेद हैं। स्थिति के अनुसार उचित निर्णय लिया जाएगा। हमारे  दोस्त शिवसेना ने हमारे साथ 2019 का विधानसभा चुनाव साथ लड़ा, लेकिन चुनाव के बाद उन्होंने   कांग्रेस से हाथ मिला लिया जिनके खिलाफ हमने चुनाव लड़ा था।

फडणवीस ने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसियां उच्च न्यायालय के आदेश पर महाराष्ट्र में विभिन्न मामलों की जांच कर रही हैं और उन पर कोई राजनीतिक दबाव नहीं है।  फडणवीस का बयान पिछले दिनों शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे  और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात के बाद आया है। ठाकरे ने पिछले महीने दिल्ली के दौरे पर प्रधानमंत्री से अलग से मुलाकात की थी।

फडणवीस  के बयान के एक दिन  पहले शिवसेना सांसद संजय राउत ने भाजपा नेता आशीष शेलार के साथ अपनी मुलाकात के बारे में अफवाहों को खारिज करने की कोशिश की। शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता ने कहा, ‘हमारे बीच राजनीतिक और वैचारिक मतभेद हो सकता है, लेकिन अगर हम सार्वजनिक कार्यक्रमों में आमने-सामने आते हैं तो अभिवादन जरूर करेंगे।

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