याद कीजिए आज से नौ साल पहले का वह वक्त जब मनमोहन सिंह सरकार के समय 2010 में बालासाहेब ठाकरे ने ‘सामना’ में एक समाचार प्रकाशित किया था। इस समाचार के जरिए ठाकरे ने कांग्रेस पर करारा हमला बोला था । बाल ठाकरे ने तब लिखा था कि मुंबई सभी की है, लेकिन इटेलियन मम्मी की नहीं हो सकती है। इस लाइन के बहाने बाल ठाकरे ने सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे को हवा देने की कोशिश की थी । जिसके बाद महाराष्ट्र से कांग्रेस की क्रीम कहे जाने वाले शरद पवार, तारिक अनवर, पी ए संगमा जैसे बडे नेता पार्टी छोड गए थे।
आज जब शिवसेना महाराष्ट्र में सरकार बनाने का कोई मौका नही छोडना चाहती है । ऐसे मे वह ‘इटेलियन मम्मी’ यानि सोनिया गांधी के दर पर समर्थन की टकटकी लगाए हाथ जोडे खडी है। किसी ने कहा भी है कि जंग और राजनीति में सब कुछ जायज है। जो कल तक दोस्त थे और तीन दशक तक साए की तरह साथ रहे वह भाजपा और शिवसेना आज कुर्सी की सियासत में अलग हो गए है। जबकि जो शिवसेना और कांग्रेस कभी एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते थे वह आज गलबहिया कर रहे है। शायद यही पाॅलटिकली गैम कहा जाता है।
अब हम आपको नौ साल पहले के अतीत में लिए चलते है। दरअसल, तब राहुल गांधी ने 26/11 के मुंबई हमले को लेकर एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने मुम्बई से संबंधित बयान देते हुए कहा था- राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) में शामिल वे उत्तर भारत के ही कमांडो थे जिन्होंने इस महानगर को बचाया । उस समय मुंबई में उत्तर भारतीयों को लेकर अलग तरह की राजनीति चल रही थी, जिस पर राहुल गांधी ने यह टिप्पणी की थी ।
राहुल गांधी के इस बयान पर बाल ठाकरे भडक गए थे। तब ठाकरे ने कहा था, कांग्रेस नेता ने ऐसा संवेदनहीन बयान देकर उन मराठा शहीदों का अपमान किया है, जिन्होंने अपनी जान की आहुति दी थी। उन्होंने लिखा था, कांग्रेस से हमें कोई सीख लेने की जरूरत नहीं है । शिव सेना ने कभी भी मुंबई को भारत से अलग करने की बात नहीं की । हमें उस कांग्रेस से सीख नहीं चाहिए, जो देश के विभाजन के लिए जिम्मेदार है । देश को बांटने वाले अब एकता की बात करते हैं । मुंबई सभी की है, लेकिन इटैलियन मम्मी की नहीं हो सकती।
बात यही खत्म नही हुई थी बल्कि तब बाल ठाकरे ने लिखा था, देश में जब भी आतंकी हमला हुआ है, तो शिवसेना का स्पष्ट मत रहा है कि केवल हिन्दुत्च ही इसके खिलाफ लोगों को एकजुट कर सकता है, लेकिन कांग्रेस को हिन्दुत्व शब्द से ही एलर्जी है ।नेहरू-गांधी परिवार सिर्फ मुसलमानों को साधकर ही देश में राजनीति करता चला आ रहा है ।उन्होंने कहा था कि राहुल गांधी को इतिहास की जानकारी नहीं है । उन्हें पता होना चाहिए कि पंडित जवाहरलाल नेहरू को भी महाराष्ट्र के लोगों से माफी मांगनी पड़ी थी । मुंबई पर सारे देश का हक है लेकिन पहला हक महाराष्ट्र में पैदा हुए लोगों का है, जो मराठी बोलते हैं ।
आज परिस्थितियाँ पूरी तरह बदल गई है। आज बाल ठाकरे की तीसरी पीढी महाराष्ट्र की राजनीति में पदार्पण कर चुकी है। ठाकरे के पोत्र आदित्य ठाकरे महाराष्ट्र में सीएम पद के दावेदार है। एक दशक बाद एक तरह से देखा जाए तो शिवसेना आज उसी नेता ( सोनिया गांधी ) के दरवाजे पर आस लगाए हुए है। शिवसेना को यकीन है कि कांग्रेस के विधायको का समर्थन उन्हें जरुर मिलेगा। लेकिन देखना यह होगा कि इस ‘इटेलियन मम्मी’ का दिल कितना पिघलता है। वह अपने पुराने दिनों की कडवी यादो को याद कर ठाकरे परिवार से बदला लेगी या इसके बदले में शिवसेना को समर्थन देकर सियासत का नया अध्याय लिखेंगी ?