हाल ही में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद से सूबे की सियासत गरमाने लगी है। इस मुलाक़ात के बाद ठाकरे ने एक प्रेसकांफ्रेंस में कहा कि भले ही हम देश की सत्ता में साथ नहीं है लेकिन हमारे संबंध अभी भी बरकरार हैं। इस मुलाकात के बाद अब महाराष्ट्र में सियासी अटकलें तेज हो गई हैं। लोग सत्ता परिवर्तन की चर्चा करने लगे हैं। अब इस कयासबाजी को हवा देने का काम भाजपा के केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने किया है। उन्होंने एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि महाराष्ट्र में पूर्व सहयोगी भाजपा और शिवसेना की सरकार बनाई जा सकती है।
अठावले ने कहा कि इस गठबंधन में मुख्यमंत्री पद को आधे-आधे कार्यकाल के लिए शिवसेना के साथ बांटा जा सकता है। अठावले ने अपने बयान में कहा कि इस मुद्दे को लेकर मैंने भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से चर्चा की है और जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक में भी इस पर चर्चा की जाएगी। रामदास अठावले का यह बयान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के दिल्ली में पीएम मोदी से मुलाकात करने के कुछ दिन बाद आया है।
इसी हफ्ते उद्धव ने पीएम मोदी से मुलाकात की थी। उद्धव ठाकरे ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने हमारी सभी बातों को गंभीरता पूर्वक सुना। मराठा आरक्षण, जीएसटी समेत कई संवदेनशील मुद्दों पर वार्ता हुई। पीएम से रिश्तों और मुलाकात को लेकर कहा कि भले ही राजनीतिक रूप से साथ नहीं हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हमारा रिश्ता खत्म हो गया है। मैं कोई नवाज शरीफ से मिलने नहीं गया था। इसलिए यदि मैं उनसे व्यक्तिगत मुलाकात करता हूं तो इसमें गलत क्या है। इसके बाद शिवसेना और भाजपा के फिर से एक साथ आने के कयास लगाए जा रहे हैं।
ठाकरे और मोदी की मुलाकात के बाद शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा की। इसका जिक्र करते हुए रामदास अठावले ने कहा कि यह शिवसेना-भाजपा गठबंधन को पुनर्जीवित करने का सही समय है।
बता दें कि शिवसेना ने अक्तूबर, 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर अपने सबसे पुराने सहयोगी भाजपा के अलग हो गई । शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार बना ली थी।
शिवसेना भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी है। दोनों दलों के बीच पहली बार वर्ष 1989 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में गठबंधन हुआ था। इसके बाद से विधानसभा और लोकसभा के सभी चुनाव दोनों दलों ने मिलकर लड़े। दोनों ने साल 1995 में मिलकर सरकार बनाई थी। इसमें शिवसेना के मनोहर जोशी मुख्यमंत्री बने थे लेकिन यह दोस्ती साल 2014 में सीटों के बटवारे को लेकर टूट गई। तब भाजपा की ताकत महाराष्ट्र समेत पूरे देश में बढ़ रही थी और पार्टी मोदी लहर के बल पर विधानसभा चुनाव भी जीतना चाहती थी।
साल 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 122 जबकि शिवसेना को 63 सीटें मिलीं। पूर्ण बहुमत से 20 सीट दूर रहने की वजह से भाजपा ने शिवसेना की मदद से सरकार बनाई। दोनों के बीच तनावपूर्ण संबंध साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कुछ सामान्य हुए जब दोनों पार्टियों ने राज्य की 48 लोकसभा सीटों में से 24-24 सीटें बांटने का फैसला किया। तब विधानसभा चुनाव में भी बराबर सीटें लड़ने पर बात हुई थी लेकिन भाजपा के दबाव के आगे इस बार शिवसेना को झुकना पड़ा था ।