[gtranslate]
Country

अभी खत्म नहीं हुई शिंदे ठाकरे की लड़ाई

महाराष्ट्र में शिवसेना का राजनीतिक उठापटक का पहला अध्याय जरूर खत्म हो गया है लेकिन पार्टी के नाम और सिंबल की लड़ाई अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। दरअसल शिवसेना के अधिकृत चुनाव चिन्ह धनुष बाण को निर्वाचन आयोग ने सीज कर दिया है। इस पाबंदी ने लंबे समय तक चलने वाले विवाद को भी अल्पविराम दे दिया है। इसके अलावा शिवसेना के दोनों गुट शिवसेना शब्द का अकेले इस्तेमाल नहीं कर सकते है। दोनों ही गुटों को नए नाम मिले हैं,जिसमें शिवसेना जुड़ा है। उद्धव ठाकरे गुट को ‘उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ और एकनाथ शिंदे को ‘बाला साहेबची शिवसेना’ (बालासाहेब की शिवसेना) नाम मिला है।लेकिन चुनाव आयोग का निर्णय स्थायी नहीं है, बल्कि यह निर्णय महाराष्ट्र में होने वाले उप चुनाव को देखते हुए लिया गया है।

 

इससे पहले उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे शिवसेना के अधिकृत चुनाव चिन्ह धनुष बाण को पाने के लिए अपना – अपना दावा कर रहे थे। लेकिन इस पाबंदी ने इस बात को स्पष्ट कर दिया है कि दोनों ही गुट इस लड़ाई में अभी जीते नहीं है। आखरी फैसला तो जनताजनार्दन ही करेगी।आमतौर पर जब चुनाव चिन्ह पर विवाद होता है तो आयोग विवादित चुनाव चिन्ह को ‘सीज’ करने का कदम उठाता है। इस मामले में भी यही आशा की गई थी।उद्धव ठाकरे को फिलहाल मिला चुनाव चिन्ह जलती ‘मशाल’ है, जबकि एकनाथ शिंदे को मिला चुनाव चिन्ह ‘ढाल-तलवार’ है जिसमें दो तलवारें और ढाल का चित्र है। यहाँ गौर करने वाली बात तो यह है कि उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गट को अभी जी चुनाव चिन्ह मिला है। उस पर शिवसेना पहले ही चुनाव लड़ चुकी है। तब शिवसेना मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल नहीं था। वर्ष 1989 में शिवसेना के ही मोरेश्वर सावे औरंगाबाद लोकसभा चुनाव क्षेत्र से ‘मशाल’ चुनाव चिन्ह पर जीत दर्ज की थी। उस दौरान बालासाहेब ठाकरे ने चुनावी सभा में ‘मशाल’ चिन्ह पर चुनाव चिन्ह पर ठप्पा लगाकर शिवसेना प्रत्याशी को जिताने की अपील की थी। इसके बाद कभी बालासाहेब ठाकरे के करीबी रहे छगन भुजबल भी महाराष्ट्र के मझगांव विधानसभा से ‘मशाल’ पर अपनी जीत दर्ज की थी। फिलहाल छगन भुजबल एनसीपी में है।

इस पर शिवसेना सांसद गजानन कीर्तिकर का कहना है कि वर्ष 1968 के स्थानीय निकाय चुनाव के समय पार्टी के अधिकांश उम्मीदवारों को ढाल और तलवार चुनाव चिन्ह मिला था। इस तरह दोनों चुनाव चिन्ह शिवसेना से जुड़े हुए हैं।जिसके बाद शिवसेना को वर्ष 1989 में राज्यस्तरीय पार्टी का दर्जा मिला और धनुष बाण का चुनाव चिन्ह दिया गया। उसके पहले 1966 से 1989 तक शिवसेना ने विभिन्न चुनाव चिन्हों पर लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनाव लड़े थे।करीब 35 सालों के बाद ऐसा मौका है जब चुनाव आयोग ने धनुष बाण को सीज करने का निर्णय लिया है।

निर्वाचन आयोग में क्या – क्या हुआ

शिवसेना के दोनों गुटों ने भी निर्वाचन आयोग के सामने अपनी – अपनी बात को रखा है। सबसे पहले एकनाथ शिंदे गुट ने कहा कि शिवसेना के अधिकांश विधायक और सांसद उनके साथ हैं इसलिए पार्टी का अधिकृत चुनाव चिन्ह धनुष बाण उन्हें ही मिलना चाहिए। इसके लिए बाकायदा पत्र भी दाखिल किया है। जिसके मुताबिक,शिवसेना के 55 में से 40 विधायक, लोकसभा के 19 में से 12 सांसद, 144 पदाधिकारी तथा 11 राज्य प्रमुखों का समर्थन प्राप्त होने की बात कही है। इसके अलावा शिंदे गुट ने यह भी कहा है कि पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की 18 जुलाई को हुई बैठक में पार्टी प्रमुख के पद पर एकनाथ शिंदे का चयन किया गया था। वहीं उद्धव ठाकरे ने निर्वाचन आयोग से कहा कि पार्टी के 10 लाख से ज्यादा प्राथमिक सदस्य, राष्ट्रीय कार्यकारिणी के 234 में से 64 सदस्य, 14 विधायक, 12 विधान परिषद के सदस्य, 3 सांसद, 18 राज्य प्रभारी और 26,000 से ज्यादा पदाधिकारी उनके साथ हैं। ऐसे में चुनाव चिन्ह उन्हें ही मिलना चाहिए। लेकिन निर्वाचन आयोग में जो आकड़े पेश की गई है। उससे साबित होता है कि एकनाथ शिंदे के पास अधिक विधायक और संसद है।

महाराष्ट्र में उप चुनाव

 

मुंबई की अंधेरी पूर्व विधानसभा सीट के लिए अगले महीने उप चुनाव होने वाला है। इस सीट के लिए 3 नवंबर को मतदान होगा। इस सीट पर शिवसेना ने ऋतुजा लटके को उम्मीदवार बनाया है। इसका समर्थन गठबंधन पार्टियों ने भी किया है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटील का तो कहना है,अंधेरी उपचुनाव ठाकरे गुट राष्ट्रवादी कांग्रेस और कांग्रेस की महाविकास आघाडी की ओर से लड़ा जाएगा। वहीं भाजपा ने अंधेरी पूर्व विधानसभा से अपना उम्मीदवारा मुरजी पटेल को बनाया है।

इस पर राष्ट्रवादी कांग्रेस के विधायक एकनाथ खडसे कहना है कि शिवसेना के आंतरिक झगड़ों का फायदा भाजपा को मिलने वाला है। बालासाहेब ठाकरे ने जीवन भर संघर्ष कर जिस शिवसेना की स्थापना की है।पार्टी के चुनाव चिन्ह धनुष बाण को प्रतिष्ठा दिलाई। उसमें ही फूट पड़ गई है। जिसका सीधा फायदा भाजपा को होगा। लेकिन राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार एक बयान में कहते है कि जिसका डर था वही हुआ लेकिन इससे शिवसेना समाप्त नहीं होगी बल्कि वह अधिक शक्तिशाली हो कर उभरेगी। इसके आलावा वे कहते हैं कि कोई शक्तिशाली संगठन जिस चुनाव चिन्ह पर चाहे उसका आधार लेकर जीत सकेगा यह बताया नहीं जा सकता है। उद्धव नया चुनाव चिन्ह लेकर चुनाव लड़ सकते है। मैं आज तक पांच चुनाव चिन्ह लेकर चुनाव लड़ चुका हूं और जीता भी हूं। चिन्ह के रहने या न रहने से कोई फर्क नहीं पड़ता है। इस चुनाव में देखना तो यह है कि यंहा से कौन अपनी जीत दर्ज करेगा।

इस पर छगन भुजबल ने महत्वपूर्ण टिप्पणी कि है। उनका कहना है कि इस फूट से बालासाहेब ठाकरे की साख को धक्का पहुंचा है। इस समय मराठी सोशल मीडिया पर एक टिप्पणी वायरल हो रही है जिसमें लिखा है कि आज से उद्धव ठाकरे लोगों से कहेंगे- सब लोग ध्यान रखें ,हमें बालासाहेब की शिवसेना को हराना है वास्तव में स्थिति बड़ी विचित्र है। उद्धव और शिंदे की लड़ाई में बालासाहब ही जीतेंगे और बालासाहेब ही हारेंगे क्योंकि दोनों ही गुटों के नामों में बालासाहेब का नाम शामिल है।

You may also like

MERA DDDD DDD DD
bacan4d toto
bacan4d
bacan4d toto
bacan4d toto
slot gacor
toto slot
Toto Slot
slot gacor
situs slot gacor
Bacan4d Login
bacan4drtp
situs bacan4d
Bacan4d
slot dana
slot bacan4d
bacan4d togel
bacan4d game
bacan4d login
bacan4d login
bacantoto 4d
slot gacor
slot toto
bacan4d
bacansport
bacansport
bacan4d
bacan4d
bacan4d
bacan4d
bacan4d
slot77 gacor
JAVHD
Bacan4d Login
Bacan4d toto
Bacan4d
Bacansports
bacansports
Slot Dana
situs toto
bacansports
bacan4d
bacan4d
bacan4d
bacan4d
bacan4d
slot gacor
bacan4d
bacan4d
bacansport
bacansport
gacor slot
slot gacor777
slot gacor bacan4d
toto gacor
bacan4d
toto slot
bacansports login
Slot Gacor
slot gacor
toto qris
toto togel
slot dana
toto gacor
slot gacor
slot777
slot dana
slot gacor
bacansports
bacansport
slot gacor
100 pasaran slot
bacansport
bacansport
bawan4d
bacansports
bacansport
slot gacor
slot gacor
bacan4d slot toto casino slot slot gacor