उत्तर प्रदेश में अंधा कानून फिल्म की एक ऐसा हास्यास्पद मामला सामने आया है जो पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्न खड़ा करने वाला है। यहां एक लड़की की हत्या और अपहरण के आरोप में तीन लोग सात महीनों से जेल की सजा काट रहे हैं। लेकिन दूसरी तरफ लड़की अपने प्रेमी के साथ दिल्ली में चैन से थी। मामले का खुलासा हुआ तो सवाल उठने स्वाभाविक हैं कि आखिर पुलिस ने कैसे पाॅक्सो एक्ट के तहत एक परिवार के पांच लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की? पुलिस की तफ्तीश इतनी लचर क्यों रही? पुलिस की इस लचर कार्यप्रणाली से एक परिवार के तीन लोग जेल काटने को विवश हुए। इससे जनता में भारी रोष है।
दरअसल, आदमपुर थानाक्षेत्र के मलकपुर गांव निवासी सुरेश सिंह की नाबालिग बेटी 20 फरवरी 2019 को गुम हो गई थी। इस मामले में उसके पिता ने पांच लोगों के खिलाफ अपहरण और पाॅक्सो एक्ट में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। लड़की के भाई रूपकिशोर ने होराम, हरफूल खेमवती तथा बीजनपुर निवासी जयपाल और सुरेंद्र निवासी के खिलाफ अपहरण की एफआईआर दर्ज कराई थी। इसी कारण पुलिस ने होराम और हरफूल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। लेकिन नाबालिग का कोई सुराग नहीं लगा।
पुलिस ने 28 दिसंबर 2019 को देवेंद्र निवासी शीशों वाली धनौरा को भी नाबालिग की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। उसी वक्त से तीनों जेल में बंद हंै। पुलिस ने लड़की के परिजनों की निशानदेई पर हत्या में प्रयोग तमंचा और कपड़े बरामद करने का दावा किया था। लेकिन आश्चर्यजनक है कि सुरेश सिंह ही नाबालिग बेटी जिंदा है। वह अपने प्रेमी के साथ दिल्ली में रह रही थी। लाॅकडाउन के दौरान दोनों प्रेमी दिल्ली से गांव पौरारा लौट आए। 6 अगस्त को नाबालिग के दूसरे भाई राहुल ने उसे पौरारा गांव में देख लिया था। इसके बाद मामले का खुलासा हुआ।