हाल ही में कुछ लोगों के ट्वीट का जवाब देते हुए थरूर ने कहा था, ‘जैसा कि आप जानते हैं, मैं छह साल से यह दलील देते आ रहा हूं कि मोदी जब भी कुछ अच्छा कहते हैं या सही चीज करते हैं तो उनकी तारीफ करनी चाहिए। ऐसा करने के बाद जब हम उनकी गलतियों की आलोचना करेंगे तो हमारी बात की विश्वसनीयता बढ़ेगी। मैं विपक्ष के उन लोगों का स्वागत करता हूं जो मेरे विचार से मिलती-जुलती बात कर रहे हैं।’
यह बयान अब उनको भारी पड़ गया है। उनके इस बयान को लेकर केरल राज्य की ईकाई के अध्यक्ष मुलापल्ली रामचंद्र ने उनसे स्पष्टीकरण मांगा है। कन्नूर में रामचंद्र ने कहा, हम थरूर से प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करने को लेकर स्पष्टीकरण चाहते हैं। उनके स्पष्टीकरण के आधार पर ही भविष्य में कार्रवाई का निर्णय लिया जाएगा।
थरूर ने यह बयान तब दिया था जब कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं ने कहा था कि मोदी को हमेशा खलनायक की तरह पेश करना सही नहीं है। जयराम रमेश ने एक किताब के विमोचन के दौरान 21 अगस्त को कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन का मॉडल पूरी तरह नकारात्मक गाथा नहीं है और उनके काम के महत्व को स्वीकार नहीं करना और हर समय उन्हें खलनायक की तरह पेश करके कुछ हासिल नहीं होने वाला है।”उन्होंने कहा कि यह वक्त है कि हम मोदी के काम और 2014 से 2019 के बीच उन्होंने जो किया उसके महत्व को समझें, जिसके कारण वह सत्ता में दोबारा लौटे। इसी के कारण तीस प्रतिशत मतदाताओं ने उनकी सत्ता वापसी करवाई। जयराम रमेश की बात का अभिषेक मनु सिंघवी ने भी समर्थन किया था।
सिंघवी ने रमेश के बयान का हवाला देते हुए ट्वीट कर लिखा था, ‘मैंने हमेशा कहा है कि मोदी को खलनायक की तरह पेश करना गलत है। सिर्फ इसलिए नहीं कि वह देश के प्रधानमंत्री हैं, बल्कि ऐसा करके एक तरह से विपक्ष उनकी मदद करता है। काम हमेशा अच्छा, बुरा या मामूली होता है। काम का मूल्यांकन व्यक्ति नहीं बल्कि मुद्दों के आधार पर होना चाहिए। जैसे उज्ज्वला योजना कुछ अच्छे कामों में एक है।’
केवल इतना ही नहीं पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी और कांग्रेस नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने सिंघवी के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए कहा था, ‘बिल्कुल सही है सर। राष्ट्र निर्माण निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है जिसे सभी सरकारों ने आगे बढ़ाया है। आशा करती हूं कि मोदी जी और उनकी टीम को भी इसका अहसास है। पंडित नेहरू को गलत ढंग से पेश करने की बजाय उन्हें उनके और कांग्रेस के असीम योगदान को स्वीकार करना चाहिए और इसे आगे बढ़ाना चाहिए। नीतियों पर आलोचना होनी चाहिए, व्यक्तियों की आलोचना नहीं होना चाहिए।’
हालांकि कांग्रेस पार्टी ने अभी तक थरूर के अलावा किसी और नेता से प्रधानमंत्री की तारीफ करने को लेकर सफाई नहीं मांगी है। ऐसे में यह देखना होगा कि क्या केवल थरूर से जवाब-तलब करके उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है या फिर सभी इसकी जद में आते हैं।