भेजा, लेकिन 12वीं की पढ़ाई के बाद मेरी मुश्किलें बढ़ गईं। परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे कि आगे की पढ़ाई का खर्च उठा सकें। ऐसे में मैंने
वाराणसी जाने का निर्णय लिया। यहां 5 सालों तक मैंने कई छोटे-मोटी नौकरियां की और पढ़ाई के लिए पैसा जुटाया।’और आगे की पढ़ाई शुरू की वर्ष ‘2009 में जब मैं लॉ की पढ़ाई करने दिल्ली गया, तो वहां मेरे कुछ दोस्त बने। इनमें से एक था कृष्ण कुमार ठाकुर। कृष्ण इंजीनियरिंग कर रहा था। हम लोगों के डिपार्टमेंट अलग थे, लेकिन हॉस्टल में हम साथ रहते थे।
राघवेंद्र आगे बताते हैं ‘एक बार वह अपने दोस्त कृष्ण के माता-पिता से मिलने के लिए उसके घर गये , वहा से उन्होंने कुछ किताबे देखि जिससे वह
अपने साथ ले आये थे । उन किताबें को उन्होंने एक जरूरतमंद बच्चे को दे दी थी । वर्ष 2017 में मुझे एक कॉल आया, ये कॉल उस बच्चे की मां का था ,
जिसे मैंने किताबें दी थीं। उन्होंने बताया कि आपके द्वारा दि गयी किताबों की मदद से उनका बेटा न सिर्फ ठीक से पढ़ सका, बल्कि उसने स्कूल
में टॉप भी किया है। उस बच्चे की मां की बातें सुनकर मेरे दिल को बहुत सुकून मिला।’
इसके बाद माने एक संकल्प लिया की अब वह मुफ्त मैं किसी को हेलमेट नहीं देंगे ,बल्कि किताबों के बदले देंगे। इस तरह एक नए मिशन को अपने साथ जोड़ लिया
राघवेंद्र बताते हैं, ‘जो भी मुझे पुरानी किताबें लाकर देता है, मैं उसे ही हेलमेट देता हूं। फिर इन किताबों को हम जरूरतमंद बच्चों में बांट देते
हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि अब मेरी इस मुहिम से स्कूल-कॉलेज के छात्र भी जुड़ने लगे हैं। इसके अलावा हमने करीब 40 से ज्यादा शहरों में ‘बुक
डोनेशन बॉक्स’ भी लगाए हैं। जो कोई भी इन शहरों में उनकी मदद करना चाहता है, इन बॉक्स में किताबें डाल जाता है।’ आज उनके साथ अलग-अलग जगहों के 200 से भी ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं और इस मुहिम में उनका साथ दे रहे हैं। इसके जरिए वो अब तक 6 लाख बच्चों तक नि:शुल्क किताबें पहुंचा चुके हैं।
अब अपनी मुहिम को एक कदम आगे बढ़ाते हुए राघवेंद्र ने स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस कंपनी के साथ मिलकर,हेलमेट के साथ 5 लाख रुपए का फ्री दुर्घटना बीमा भी देना शुरू किया है। इस अच्छे कार्य के लिए केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी उनकी तारीफ कर चुके हैं। वहीं राघवेंद्र के इस निस्वार्थ काम से प्रभावित होकर बिहार सरकार ने उन्हें सम्मानित किया है और ‘हेलमेट मैन’ का टाइटल दिया है।
राघवेंद्र का कहना हैं कि चाहे 50 मीटर जा रहे हों या 50 किलोमीटर, हेलमेट पहनकर ही बाइक चलाएं। एक्सीडेंट कभी किसी को बोलकर नहीं आता है। मेरी गाड़ी के पीछे भी संदेश लिखा है- यमराज ने भेजा है बचाने के लिए, ऊपर जगह नहीं है जाने के लिए।’