क्रिकेट मैच में एक शब्द आता है ” गूगली” । गूगली वह होता है जब बॉलर गेंद फेकता है , लेकिन जो पिच पर खड़ा हुआ खिलाड़ी होता है वह समझ नहीं पाता कि बॉल किधर को आई और किधर को गई । यानी कि बाॅल उसकी समझ में नहीं आ पाती है और वह इस चक्कर में कभी – कभी आउट भी हो जाता है । तो कभी-कभी उसे फाउल भी मिल जाता है।
महाराष्ट्र के चुनाव में कुछ ऐसा ही पॉलिटिकल गेम खेला जा रहा है । जिसमें फिलहाल पिच पर शिवसेना खड़ी है । शिवसेना रन बनाने के लिए हाथ में बेशक बल्ला थामे हुए हैं । लेकिन उसे अभी यह विश्वास नहीं है कि वह मैच जीत पाएगी या हार जाएगी ।कल के मामले को देखें तो अभी तक उसके हाथ में यह मैच नहीं है । यानी कि महाराष्ट्र की कुर्सी शिवसेना से अभी बहुत दूर है ।इसको कल एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने और ज्यादा गहरा दिया है । कहा जा रहा था कि शरद पवार सोमवार को सोनिया गांधी से मिलकर गठबंधन पर कोई मजबूत फैसला लेंगे । लेकिन जब वह सोनिया गांधी से मिलकर बाहर आए तो मीडिया के समक्ष यह कहकर गूगली फेक गए की उनकी शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन पर सोनिया गांधी से कोई बात ही नहीं हुई ।

इस तरह देखा जाए तो महाराष्ट्र में सीएम के पद अभी भी सस्पेंश बरकरार हैं ।कल यानि कि सोमवार को पवार की सोनिया गांधी के साथ बैठक थी । उनकी मुलाकात से लग रहा था कि आज महाराष्ट्र में सीएम का पद भर ही जाएगा । लेकिन हुआ बिल्कुल उलटा। सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद पवार ने पूरा गेम ही उलट दिया। शिवसेना की पूरी कोशिश पर पानी फेर दिया गया ।
जबकि दुसरी तरफ शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत लगातार सरकार गठित किए जाने का दावा कर रहे हैं । वह कह चुके हैं कि हम सदन में 170 विधायकों के आंकड़े के साथ बहुमत सिद्ध करेंगे । शरद पवार अनुभवी हैं, वो सरकार चाहते हैं ।इसलिए उनका अनुभव काम आएगा । शरद पवार को लेकर हमारे मन को कोई संशय नहीं हैं ।एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर हम अगले पांच साल तक सरकार चलाएंगे ।
कल सोनिया गांधी से मीटिंग के बाद शरद पवार ने कहा कि कांग्रेस और एनसीपी के नेता हालात का जायजा लेने के अलावा दोनों पार्टियों के नेताओं से बातचीत करेंगे । अब तक सरकार गठन को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई । हमने अन्य मुद्दों पर बातचीत नहीं की । हम स्थिति पर नजर बनाए रखेंगे । सभी नेताओं की राय लेने के बाद ही आगे का रास्ता तय करेंगे । अब यह रास्ता क्या होगा यह तो राम ही जाने।