महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर केंद्रीय जांच एजेंसियों का शिकंजा कसने लगा है। उनके वकील आनंद डागा और अपनी ही टीम के एक सदस्य सब-इंस्पेक्टर, अभिषेक तिवारी को सीबीआई ने जांच प्रभावित करने और तथ्यों से छेड़छाड़ करने के आरोप लगा कर गिरफ्तार कर लिया है। एक वरिष्ठ वकील और एक सीबीआई टीम के अफसर की एकाएक गिरफ्तारी बाद अनिल देशमुख एक बार फिर से सुर्खिंयों में हैं। कयास लगाए जाने लगे हैं कि मनी लॉन्ड्रिंग में पूरी तरह से फंस चुके अनिल देशमुख के जरिए सीबीआई राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार तक पहुंचने वाली है।
अनिल देशमुख महाराष्ट्र में वो नाम बन गया है जिसको लेकर खूब बवाल हो रहा है, इसलिए ये जानना भी जरुरी है कि आखिर अनिल देशमुख की सियासी ताकत क्या है और क्यों एनसीपी नेता शरद पवार अनिल देशमुख को बचाने के प्रयास कर रहे हैं? क्यों पार्टी अनिल देशमुख को इतने बड़े दाग के बावजूद भी बचाने के हर संभव प्रयास कर रही है?
अनिल देशमुख महाराष्ट्र के नागपुर इलाके से आते हैं। उन्होंने 1970 के दशक में ही राजनीति में कदम रखा था। पहली बार 1992 में जिला परिषद का चुनाव जीतकर राजनीति में आए थे। साल 1995 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़े और जीते भी। शिवसेना बीजेपी की गठबंधन सरकार का समर्थन कर 1995 में वो स्कूली शिक्षा विभाग और सांस्कृतिक विभाग के मंत्री बन गए। कांग्रेस पार्टी से अलग होकर शरद पवार ने जब साल 1999 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का गठन किया तो महाराष्ट्र के कई बड़े नेताओं के साथ अनिल देशमुख भी शरद पवार के साथ चले गए थे। 1999 में अनिल देशमुख एनसीपी के टिकट पर चुनाव जीते।
अनिल देशमुख साल 2014-2019 के बीच बीजेपी- शिवसेना सरकार को छोड़कर 1995 के बाद से महाराष्ट्र की हर सरकार में मंत्री रहे हैं। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार में कई विभागों को संभाला है। 2014 में देशमुख अपने भतीजे से विधानसभा चुनाव हार गए थे और 2019 में जब वे फिर जीते तो महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस, एनसीपी की सरकार में गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी के लिए शरद पवार की पहली पसंद रहे। लेकिन अब अनिल देशमुख के कारण शरद पवार पर कभी भी गाज गिर सकती है। एंटीलिया केस से गहराया संकट 25 फरवरी को दोपहर करीब 3 बजे मुंबई पुलिस को देश के सबसे बड़े उद्योगपति रिलांयस समूह के मालिक मुकेश अंबानी के मुंबई स्थित घर के बाहर विस्फोटकों से भरी स्कार्पियो की जानकारी मिली थी। सीसीटीवी जांच में सामने आया था कि कार को एक रात पहले वहां खड़ा किया गया था। इसके बाद पुलिस को जांच में स्कॉर्पियो मालिक की जानकारी मिली। 5 मार्च 2021 की रात को स्कार्पियो के मालिक मनसुख हिरेन की ठाणे से लाश मिली थी।
पहले इस मामले की जांच मुंबई पुलिस कर रही थी, लेकिन इसके बाद जब एनआईए ने इस मामले की जांच करनी शुरू की तो सचिन वाजे की भूमिका संदिग्ध मानते हुए उसे गिरफ्तार कर लिया। मुंबई क्राइम ब्रांच के तत्कालीन एपीआई वाजे की मामले में संलिप्तता पाए जाने के बाद मुंबई पुलिस के कमिश्नर परमबीर सिंह का तबादला कर दिया गया था। इसके कुछ दिन बाद ही नाराज परमबीर सिंह ने एक चिट्ठी के जरिए महाराष्ट्र के तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख पर मुंबई के पब, रेस्टोरेंट और बार से 100 करोड़ रुपए की अवैध उगाही के आरोप लगाए थे।
नाराज परमबीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की और अनिल देशमुख पर लगाए सभी आरोपों की जांच सीबीआई से कराने की भी मांग की थी। अदालत ने जांच की मांग को मानते हुए सीबीआई को जांच के निर्देश दिए हैं।
बीते दिनों सीबीआई ने अनिल देशमुख के वकील आनंद डागा और अपने ही सब-इंस्पेक्टर अभिषेक तिवारी को मनी लॉन्डिंªग केस की जानकारी लीक करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। अभिषेक तिवारी के दिल्ली और इलाहाबाद स्थित ठिकानों पर छापेमारी की गई थी। फिलहाल दोनों को कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने राज्य में सत्तारूढ़ दल और विपक्ष की तीखी आलोचना की है।
उन्होंने कहा ‘‘पिछले दो-तीन सालों में लोगों को देश में नई व्यवस्था के बारे में पता चला है। उस प्रणाली को ईडी कहा जाता है।’’ शरद पवार ने कहा कि अकोला से शिवसेना सांसद भावना गवली आई थीं। उनके पास 3-4 संस्थान हैं। 3 शैक्षणिक संस्थान और एक अन्य छोटा संस्थान है। इसका लेन-देन भी 20-25 करोड़ के अंदर है। लेकिन ईडी उन्हें भी परेशान कर रही है। शरद पवार अब मामले को संसद में उठाने की बात कर रहे हैं। दूसरी तरफ उनके करीबी अनिल देशमुख बार-बार बुलाए जाने के बाद भी ईडी के सामने पेश नहीं हो रहे हैं जिसके चलते गत् सप्ताह ईडी ने उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर स्पष्ट संकेत दे डाले हैं कि जल्द ही देशमुख को गिरफ्तार कर लिया जायेगा। महाराष्ट्र की राजनीति की धुरी कहलाए जाने वाले रांकपा प्रमुख शरद पवार इन सबके चलते गहरे संकट में फंसते नजर आने लगे हैं।