महाराष्ट्र में सियासत लगातार करवट ले रही है। जब से अजित पवार ने बीजेपी का दामन थामा है। तब से ही लगातार प्रदेश में सियासी बवाल मचा हुआ है। खास तौर पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को लेकर अटकलों का दौर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। अब तक ये कयास लगाए जा रहे थे कि आगामी लोकसभा चुनाव 2024 से पहले शरद पवार भी अजित की राह चलकर बीजेपी के साथ जा सकते हैं। लेकिन इसको लेकर भी तमाम राजनीतिक दलों ने अपनी प्रतिक्रिया दी कि किसी ने इसे सही तो किसी ने निराधार बताया। वहीं अब एक और खबर ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।
एनसीपी चीफ शरद पवार का बयान एक बार महाराष्ट्र का सियासी पारा हाई किए हुए है। शरद पवार ने अपने भतीजे और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि एनसीपी में किसी भी तरह की कोई फूट नहीं है, बल्कि अजित पवार उनके साथ ही हैं। शरद पवार के इस बयान के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या एक बार फिर शरद पवार भतीजे को अपनी ओर लाने में कामयाब हो रहे हैं? क्या जल्द ही अजित पवार की घर वापसी हो सकती है? राजनीतिक पंडितों का कहना है कि शरद पवार के बयान से तो यही लग रहा है कि वह अजित पवार को दोबारा ‘एमवीए’ का हिस्सा बना सकते हैं। हालांकि इसको लेकर अभी तक अजित पवार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
शरद पवार को राजनीति का चाणक्य माना जाता है। उनकी चालों को समझना काफी मुश्किल है। खास तौर पर जब बात महाराष्ट्र और उनकी पार्टी को लेकर चल रही हो तो पवार का हर दांव बड़ा ही सटीक साबित होता है। अब एक बार फिर उन्होंने प्रदेश की सियासत में उबाल ला दिया है। शरद पवार ने अजित पवार को लेकर अपना रुख नर्म कर दिया है। इससे एमवीए को झटका भी लग सकता है और हो सकता है ये एमवीए के लिए अच्छी खबर लेकर भी आए। कहा जा रहा है कि शरद पवार ने एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश की है। गौरतलब है कि शरद पवार ने अजित पवार को लेकर अपना दरियादिली बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि एनसीपी में कुछ भी खराब नहीं चल रहा है अजित पवार अब भी पार्टी का हिस्सा हैं। यही नहीं शरद पवार ने अजित को अपनी पार्टी का नेता भी बता पार्टी में किसी भी तरह की फूट से इनकार किया है।
शरद पवार के इस बयान के दो मायने निकाले जा रहे हैं। पहला क्या अजित पवार की दोबारा घर वापसी हो रही है। जैसा कि पहले भी एक बार हो चुका है जब एमवीए के गठन के दौरान देर रात उन्होंने बीजेपी के साथ जाकर फडणवीस सरकार में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। तब शरद पवार उन्हें मनाकर दोबारा अपनी पार्टी में गए थे। हो सकता है शरद पवार एक बार फिर वही दांव चल रहे हों। शरद पवार के बयान का दूसरा मायना यह भी निकाला जा रहा है कि क्या शरद पवार भी भतीजे खास तौर पर बीजेपी के ऑफर में रुचि ले रहे हैं और यही वजह है कि उन्होंने अजित को लेकर अपने बर्ताव में बदलाव किया है। अगर ऐसा होता है तो ये महाविकास अघाड़ी गठबंधन के लिए बड़े झटके की तरह होगा। चुनाव से ठीक पहले शरद पवार का ये रुख अब महाराष्ट्र की सियासत में हिचकोले की तरह साबित हो सकता है।