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‘कर्मकांड’ पर ‘शर्मकांड’, उत्तराखंड में भाजपा मंत्रियों का कारनामा

एक प्रतिष्ठावान व्यक्ति की गाय मर गई। गाय की मौत की ख़बर सुनकर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। हर कोई प्रतिष्ठावान व्यक्ति के सामने गाय की मौत पर सहानुभूति दिखा रहा था। कोई कहता कि गाय कितनी अच्छी थी तो कोई गाय की तारीफ में कसीदे गढने लगता। प्रतिष्ठावान व्यक्ति ने गाय की बकायदा रस्मपगडी की । रस्मपगडी तक प्रतिष्ठावान व्यक्ति के यहा लोगों की बराबर उपस्थिति दर्ज होती रही। उसके बाद वह प्रतिष्ठावान व्यक्ति इस दुनिया से अलविदा हो गया। लेकिन इस बार शौंक प्रकट करने वालो की भीड नही दिखाई दी और ना ही कोई सहानुभूति प्रकट करने पहुँचा । यह नजारा यह समझने के लिए काफी है कि आज आदमी सत्ता को सलाम करता है। कहने का मतलब यह है कि जब तक प्रतिष्ठावान व्यक्ति था तो उसकी सत्ता को सलाम करने हर कोई उसके दर पर दस्तक देने में अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहे थे। दुसरा तब तक उनके मतलब भी सिद्ध हो रहे थे। लेकिन जब प्रतिष्ठावान व्यक्ति ही नही रहा तो मतलबी लोगों ने उधर से मुंह फेर लिया। कुछ ऐसा ही नजारा सत्ता की परिक्रमा लगाने वाले नेताओं का धर्म नगरी हरिद्वार में दिखाई दिया। जहा देखने में आया कि सत्ता के इर्दगिर्द लोग क्रूर ही नही संवेदनहीन भी होते है।
 देश के पूर्व कैबिनेट मंत्री अरुण जेटली का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया गया। देश में एक दिन का राष्ट्रीय शोक भी घोषित किया गया था। यहा तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश दौरे से आने के बाद सीधे स्व.जेटली के परिवार से मिलने पहुंचे। भाजपा के ऐसे वरिष्ठ और सम्मानजनक नेता की गंगा में अस्थिविसर्जन के लिए उनके अस्थिकलश को हरिद्वार लाया गया था। जहा डैमकोठी बंगले ( सरकारी गैस्टहाऊस ) पर उनके परिजनो की ठहरने की व्यवस्था भी थी। गत 26 अगस्त को अस्थिकलश के साथ ही परिजन आए हुए थे । मान्यता है कि स्वर्गसिधार चुके व्यक्ति की अस्थिविसर्जन करने के बाद ही परिजन खाना खाते है। लेकिन हरिद्वार में स्व. जेटली के परिजनो को को खाना तक नही खिलाया गया। जबकि इसकी ज़िम्मेदारी स्थानीय विधायक और प्रदेश के केबिनेट मंत्री मदन कौशिक की थी। लेकिन उन्होने सव. जेटली के परिजनो को खाना खिलाना तो दूर पूछने की भी जहमत तक नही की। इसे कौशिक की संवेदनहीनता कहा जा रहा है।
हालांकि बताते है कि बाद में योग गुरु स्वामी रामदेव ने जेटली परिवार को खाना खाने की बाबत पूछा। तब परिजनो ने बताया कि खाना नही खाया। इसके बाद रामदेव जेटली परिवार को पतंजलि आयुर्वेद योग संस्थान ले गए। जहा उन्होने जेटली के परिवार को खाना खिलाया।
आपको याद दिला दे कि यह वही केबिनेट मंत्री मदन कौशिक है जो गंगा तट पर अस्थिविषर्जन के मौके पर एक बार पहले भी अपनी सवेदनहीनता का परिचय दे चुके है। 18 अगस्त 2018 की बात है जब देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की अस्थिकलश यात्रा हरिद्वार पहुंची थी। उस दिन हर की पैड़ी पर स्वर्गीय वाजपेई की अस्थिविसर्जन कार्यक्रम था। तत्कालीन भाजपा के राष्टीय अध्यक्ष अमित शाह भी अस्थिविषर्जन में आए थे। तब वाजपई जी की अस्थिविषर्जन करते समय ऐसी घटना घटी थी जिससे वहा मौजूद तमाम लोग सन्न रह गए थे।
 हुआ यूँ कि अस्थिविषर्जन के जिस पात्र में वाजपेई की अस्थिया थी उसे गंगा में प्रवाहित करने की बजाय उछाल कर फैक दिया गया था। और ऐसा करने वाले कोई और नहीं बल्कि उत्तराखंड के केबिनेट मंत्री मदन कौशिक ही थे। कौशिक के इस ‘कारनामे’ की तब खूब चर्चा हुई थी। लोग कौशिक की एक साल पहली इस सवेदनहीनता को आज तक नहीं भूले है। इसके बाद पांच दिन पूर्व स्वर्गीय अरुण जेटली की इस  घटना ने सबकी झकझोर दिया है।
ऐसा नहीं है कि सवेदनहीनता के मामले में अकेले मदन कौशिक ही कसूरवार है बल्कि गत 26 अगस्त को ही प्रदेश के दूसरे कैबिनेट मंत्री धनसिंह रावत की हंसती हुई तस्वीर भी आई सामने आई है। धन सिंह हरिद्वार भाजपा के वरिष्ठ नेता ओम प्रकाश जगदंग्नि  को स्वर्गीय जेटली के अस्थिविसर्जन कार्यक्रम में बाकायदा गले मिलकर खिलखिलाकर हंस रहे है। सोचनीय यह है कि केबिनेट मंत्री धनसिंह रावत के साथ ही खड़े हरिद्वार के सांसद और केंद्रीय मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक भी वही खड़े है और धनसिंह रावत एवं ओम प्रकाश जगदंग्नि की हंसी में उनके साथ हँसते – मुस्कुराते दिखाई दे रहे है। दुःख भरे मौके पर सवेदनशीलता की इस मखौल उड़ाती तस्वीर को केंद्रीय मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक के प्रतिनिधि ओम प्रकाश जगदंग्नि ने बकायदा 26 अगस्त को अपनी सोशल मीडीया फेसबुक की टाईमलाईन  पर पोस्ट करके प्रचारित किया है।

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